डेंगू में कारगर हैं होम्योपैथिक दवाएं – डॉ आनन्द शाही


मच्छरदानी का उपयोग हमेशा करे,आस पास के कचड़ा को साफ रखे


हजारीबाग। डेंगू एक खतरनाक बीमारी है, जो किसी संक्रमित मच्छर के काटने से होती है. डेंगू में मरीज को तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों में दर्द होना, उल्टी आना और मसूड़ों से खून निकलना आदि लक्षण होते हैं. डेंगू वह खतरनाक वायरस होता है, जिसमें मरीज की व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या बहुत ही कम होने लगती है. इस बीमारी में होम्योपैथिक उपचार बेहद कारगर होता है. होम्योपैथिक दवाओं के मरीज पर कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं. साथ ही यह दवाएं बीमारी को जड़ से खत्म कर देती हैं. हजारीबाग के प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक आयुष सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी सह जिला आयुष नोडल पदाधिकारी हजारीबाग के डॉ आनंद कुमार शाही के द्वारा डेंगू में उपयोगी दवा के बारे में बताया गया ।

आइए जानते हैं इन होम्योपैथिक दवाओं के बारे में-

*ब्रायोनिया 200

होम्योपैथिक दवा को वाइल्ड हॉप्स के नाम से भी जाना जाता है. डेंगू के मरीज को अगर चिड़चिड़ापन, तेज सिर दर्द, आंखों में चुभन, मुंह सूखना और मांसपेशियों में अत्यधिक दर्द होने जैसे कोई भी लक्षण हों तो उनके लिए यह दवा काफी असरदार होती है.

यूपोरिटियम परफोलिएटम 200

यह होम्योपैथिक दवा डेंगू के उन मरीजों को दी जाती है, जिन्हें आंखों की पुतलियों में दर्द होता है इसके साथ ही लेटने पर सिर दर्द होना, रोशनी में आंखें दर्द करना, रात में अत्यधिक खांसी आना, शाम को ठंड लगना, बदन दर्द होने के साथ ही हड्डियों में दर्द जैसे लक्षण पाए जाते हैं. इस दवा के उपयोग से मरीज को आराम मिलता है.

कल्केरिया कार्बोनिका 200

कल्केरिया कार्बोनिका डेंगू के मरीज को तब दी जाती है, जब उसे छाले या छोटे-छोटे घाव, चकत्ते या फोड़े जैसे कोई भी लक्षण होते हैं. इसके अतिरिक्त दोपहर के बाद एकदम से ठंड लगना, टॉन्सिल में सूजन होना, छाती में भारीपन लगना और साथ ही मानसिक थकान महसूस होना आदि लक्षणों के लिए भी एक कारगर दवा के रूप में कार्य करती है.

बेलाडोना 200

बेलाडोना का सामान्य नाम डेडली नाइटशेट भी है. जिन मरीजों को सांस लेने में कठिनाई के साथ पेट में ऐंठन और गर्दन में अकड़न जैसे कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो उनके लिए यह दवा काफी फायदेमंद मानी जाती है

डेंगू के मरीज अपनी दिनचर्या में भी करें बदलाव

चाहे कोई भी बीमारी हो, होम्योपैथी में डॉक्टर द्वारा दिनचर्या में परिवर्तन के लिए सलाह दी जाती है। होम्योपैथिक दवाएं शरीर में असर कर सके, इसलिए डॉक्टर की सलाह को अपनाना मरीज के लिए बेहद जरूरी होता है. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि डेंगू मरीज के आसपास का वातावरण साफ रहे. इस दौरान मरीज को भरपूर मात्रा में फाइबर और पोषक आहार देना चाहिए. डेंगू के मरीज के ठीक होने के बाद मरीज एकदम से ठीक नहीं होता है, इसलिए जरूरी है कि वे ठीक होने के तक सामान्य प्राणायाम और व्यायाम को नियमित रूप से करते रहें, इससे बीमारी के दोबारा होने की आशंका कम हो जाती है. इससे मरीज की कमजोरी भी जल्द ही दूर हो जाती है। प्रोटीन युक्त आहार का सेवन ज्यादा करना चाहिए।

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