नरेन्द्र मोदी और रघुवर दास द्वारा झारखण्डियों का शोषण: कांग्रेस

Exploitation of Jharkhandis by Narendra Modi and Raghuvar Das: Congress

News Agency : पिछले पांच वर्षों में भाजपा सरकार द्वारा झारखंड की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों पर लगातार हमले हुए हैं। भूख से मौतें सामाजिक-आर्थिक अधिकारों का हनन, भीड़ तंत्र द्वारा लोगों की हत्याएंे, आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं पर बढ़ती हिंसा, सामाजिक कार्यकर्ताओं की प्रताड़ना, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला, भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन, पारम्परिक स्वशासन व्यवस्था पर वार, किसानों की आत्महत्याऐं ये झारखण्ड की पहचान बन गयी है। उक्त बातें झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता श्री रांजीव रंजन प्रसाद ने एक प्रेज्ञप्ति जारी कर कही।

श्री प्रसाद ने कहपा कि नरेन्द्र मोदी और रघुवर दास द्वारा झारखण्डियों पर किये गये अत्याचारों पर आज झारखण्ड की जनता के सवालों का जवाब भाजपा को देना चाहिए। पिछले दो वर्षां में राज्य में कम से कम nineteen मौंतें भूख से हुई, जिनमें nine आदिवासी, 5 दलित, 5 पिछड़े थे, जो भूख से मौत के शिकार हुए। अधिकांश परिवार विभिन्न कारणों से जन वितरण प्रणाली से मिलने वाली अनाज से वंचित थे, कुछ एकल महिलाऐं व वृद्ध सामाजिक सुरक्षा पेंशन से वंचित थे। कई महीनों से नरेगा में भी काम नहीं मिला था। साथ हीं साथ पीड़ित परिवारों के पास स्वास्थ्य सेवाओं की पहॅंुंच न के बराबर थी।

भाजपा सरकार ने न तो अपनी गलती स्वीकार की और न हीं किसी पदाधिकारी के विरूद्ध इसके लिए कार्रवाई की। आज भाजपा को जनता के इस प्रश्न का जवाब देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक-आर्थिक अधिकारों पर आधार का प्रहार भाजपा सरकार ने जन-कल्याणकारी योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाकर करोड़ो लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है। आधार लिंकिंग न होने के कारण लाखों राशन कोर्डों, नरेगा के जाॅब कार्डों व सामाजिक सुरक्षा पेंशन को रद्द कर दिया गया।

इसके कारण बड़े पैमाने पर लोग अपने भोजन, काम, पेंशन के अधिकारों से वंचित हो गये। सरकारी आंकड़ों के अनुसार eleven.64 लाख राशन कार्ड, तीन लाख से अधिक जाॅब कार्ड एवं तीन लाख पेंशनधारियों को योजना सूची से हटाया गया। बायोमैट्रिक प्रमाणीकरण व्यवस्था (पाॅस मशीन की विफलता के कारण) राज्य के लाखों राशनकार्डधारी सस्ते अनाज से वंचित हैं। पिछले चार वर्षों में thirty-nine प्रतिशत नरेगा मजदूरी का भुगतान, आधार से जुड़े गलत खातों में हुआ है। क्या भाजपा सरकार के पास जनता के इन सवालों का कोई जवाब है? उन्होंने कहा कि राज्य में कम से कम seventeen लाख वृद्ध, विधवा और विकलांग सामाजिक सुरक्षा पेंशन से वंचित हैं। मोदी सरकार ने पिछले पांच सालों में नरेगा मजदूरी दर में न के बराबर बढ़ोतरी की।

झारखण्ड की नरेगा मजदूरी राज्य की न्यूनतम मजदूरी से seventy one रूपये कम है। पिछले चार वर्षों में one hundred करोड़ रू. से भी ज्यादा का मजदूरी भुगतान रिजेक्ट हो गया, जो अभी भी लम्बित हैं। भाजपा सरकार ने मध्याह्न भोजन में बच्चों को मिलने वाले अण्डों की संख्या को three अंडे प्रति सप्ताह से घटाकर two अंडे कर दिया है। राज्य के अनेक टोलों में अभी भी आंगनबाड़ी केन्द्र नहीं, आंगनबाड़ियों में न तो समय पर पर्याप्त पोषण मिल रहा है और न हीं बच्चों को शिक्षा। नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनते ही ंआंगनबाड़ी, सामाजिक सुरक्षा व अनेक अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं का बजट काट दिए। क्या भाजपा सरकार के पास जनता के इन सवालों का कोई जवाब है?

उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में कम से कम eleven व्यक्तियों (नौ अल्पसंख्यकों और दो आदिवासियों) की गौ संरक्षण जैसे साम्प्रदायिक मुद्दों पर भीड़ द्वारा पिटाई व हत्या की गयी है। अधिकांश मामलों में स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर कई सवाल रहे हैं। कार्यवाई करने बजाय भाजपा के नेताओं द्वारा लिंचिंग करने वालों को सम्मानित किया गया। भाजपा राज में लगातार आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों पर दमन बढ़ा है। साथ ही धर्म के नाम पर झारखण्डी समाज व विभिन्न धर्मों के बीच अशांति व हिंसा फैलाने के अनेक प्रयास हुए हैं। क्या भाजपा सरकार के पास जनता के इन सवालों का कोई जवाब है? उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही भूमि अधिग्रहण कानून को कमजोर करने की कई कोशिश की। संसद में असफल होने के बाद रघुवर दास की सरकार ने राज्य में इस कानून को संशोधित कर ग्रामसभा की सहमति की आवश्यकता को समाप्त कर दिया।

साथ हीं राज्य के सीएनटी-एसपीटी कानूनों में भी संशोधन की कई कोशिशें की। ग्राम सभाओं की जमीनों को बिना उनकी सहमति के लैंड बैंक में शामिल किया जा रहा है। भाजपा सरकार झारखण्ड के दिल को चीड़ कर जल, जंगल, जमीन को कारपोरेट घरानों के हवाले करने की कोशिश करती रही। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है गोड्डा में अडानी परियोजना, जहां आदिवासियों व मूलवासियों की सहमति के बिना उनकी जमीन छीन ली गयी। क्या भाजपा सरकार के पास जनता के इन सवालों का कोई जवाब है?

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