संजय सिन्हा,
धनबाद: जिले के निरसा के मड़मा गांव के 60 घर कभी भी जमींनदोज हो सकता है ! इस गांव की आबादी करीब पांच सौ की है। लोग गांव छोड़कर जाने पर मजबूर है। करीब एक दर्जन लोग गांव छोड़कर बाहर में रह रहे हैै। गांव में मिट्टीनुमा मकान सहित एक व दो तत्ला मंजिला पक्का सिमंटेड मकान है। मुगमा रेवले स्टेशन के समीप एवं ग्रैंड कोड़ रेलवे लाइन से करीब पांच सौ मीटर दूर है। इस गांव से सटा लखीमाता कोलियरी के बंद आॅपेन कास्ट प्रोजेक्ट है। बंद प्रोजेक्ट ईस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड (ईसीएल) के मुगमा एरिया के अधीन है।
पिछले आठ वर्षो से इस गांव के समीप की जमीन धंसने व दरारे पड़ने की घटना घट रही है। खान सुरक्षा महानिर्देशालय डीजीएमएस धनबाद की टीम ने प्रभावित स्थल का निरीक्षण कर ईसीएल के मुगमा क्षेत्रीय प्रबंधन को गांव के दूसरे जगह शिफ्टिंग करने का निर्देश दिया था। ग्रामीण व ईसीएल प्रबंधन के बीच मुआवजा व नियोजन को लेकर जिच बना हुआ है। जिसके कारण गांव को दूसरे जगह शिफ्टि नही किया जा सका है। भू-धंसान के कारण कृषि का जमीन खेती लायक भी नही रह गया है। खेतों में पानी नही रूकने के कारण जमीन बंजर बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि मुआवजा को लेकर कई बार आंदोलन किया। जिला प्रशासन के अधिकारियो के साथ भी कई बार बैठके भी हुई, परन्तु बेनतिजा निकला। ग्रामीणों ने नेताओ पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसी भी नेता ने हमलोगो को लेकर ईमानदारी से प्रयास नही किया। जिसके कारण ईसीएल प्रबंधन का उदासीन रवैया बरकारार है। ग्रामीणों ने कहा कि भू-धंसान की घटना की जानकारी उर्जा मंत्रालय को भी दिया गया। उर्जा मंत्रालय ने ईसीएल प्रबंधन को पत्र भी लिखा हैं, परन्तु ईसीएल प्रबंधन आज तक उदासीन रवैया बनाए हुए है।
गांव से मुगमा स्टेशन जाने का ग्रामीण मार्ग पहले हो चुकी है बंद:
ग्रामीणो ने कहा कि गांव से मुगमा स्टेशन जाने का ग्रामीण मार्ग भू धंसान से ध्वस्त हो गया। इस ग्रामीण मार्ग से चार पहिया वाहन जाना बंद हो गया। गंाव से स्टेश्न की दूरी करीब एक किलोमीटर था। मार्ग ध्वस्त हो जाने के कारण साशनबड़िया जीटी रोड एन एच टू होकर मुगमा मोड होते हुए मुगमा स्टेशन जाना पड़ता है। जिसकी दूरी करीब 4 से 5 किलोमीटर हो गया।
भू-धंसान की बड़ी वजह अवैध उत्खनन:
भू-धंसान के कारण धुआं व आग की लपटे निकलता है। जिसके कारण गांव के ग्रामीणो को विभिन्न बिमारियों होने का भय बना हुआ है। ग्रामीणों ने कहा कि घर के नीचे से हमेशा हल्का कंपन होते रहता है। जिससे जमीनदोज होने का भय लगा रहता है। ग्रामीणों ने भूधंसान का बड़ी वजह अवैध उत्खनन बताया है। अवैध उत्खननकर्ताओ ने जमीन खोखली कर दिया है।
गांव में पानी की समस्या:
जमीन फटने व दरारे पड़ने से भूमिगत पानी का लेयर स्त्रोत काफी नीचे चला गया है। गांव स्थित तालाब का पानी सुख गया। ग्रामीणो को पाने का पानी साशनबड़िया जीटीरोड मोड़ से ले जाना पड़ता है। जो गांव से करीब डेढ किलोमीटर दूर है। वही स्नान व पकड़ा धोने के लिए करीब एक किलोमीटर दूर आमडंगाल स्थित तालाब में जाना पड़ता है।
इन लोगो ने गांव छोड़ाः
मंड़मा गांव निवासी निमाई मंडल, अमरमेन्दु मंडल सपन मंडल, व धीरेन मंडल ने गांव छोड़कर आसनसोल पं0 बंगाल में रह रहे है। दिलीप मंडल व सुनील मंडल मुगमा रिजनल वर्कशाॅप काॅलोनी में रह रहे है। जबकि सुधीर मंडल, आद्रा पुरूलिया पं0 बंगाल में रह रहा है। गांव में ग्र्रामीणों की करीब 50 एकड़ जमीन है। जो कृषि जमीन है। अधिकांश लोगो को सिर्फ घर है।
ग्रामीणांे की मांग:
भू-धंसान व अग्नि से प्रभावित मडमा गांव के सभी घर आवास की अविलम्ब अन्यत्र शिफ्टि किया जाए। कोलियरी द्वारा कोयला निकालने के लिए ब्लाॅस्टिग करने से घरो के दिवार में दरारे पड़ रही है प्रबंधन घरो को उचित मुआवजा दे। प्रबंधन तत्काल आग को बुझाए ब्लाॅस्टिंग से हुए क्षतिग्रस्त घरो को मरम्मत किया जाए। ग्रामीण मार्ग को ठीक किया जाए गांव में पानी का प्रबंध किया जाए।
निरसा में अब तक हुई भू-धंसान:
17 दिसबंर 2015 – मड़मा गांव के ग्रामीण मार्ग पर 10फीट का गोफ बना, पानी टैंकर का पहिया गोफ में फंसा।
4 दिसंबर 2015 – कापासारा आउटसोर्सिग व भुभाष काॅलोनी ग्रामीण मार्ग एक सौ मीटर धंसा इसी दिन हरियाजाम कोलियरी के बंद खदान के पास एक सौ फीट जमीन धंसा
22 अक्तूबर 2015 – निरसा के देवियाना गांव के बाउरी टोला समीप श्मशान घाट जानें वाला कच्चा मार्ग 25 फीट के दायरें में धंसा।
18 अक्तूबर 2015 – मडमा एक सौ फीट लम्बी व आधा फीट चैड़ी जमीन धंसी।
23 जून 2015 – मुगमा मोची कटिंग में चार वर्ग मीटर में बना गोफ।
5 मई 2015 – कुडकुडी व कलियासोल ग्रामीण मार्ग में पड़ी दरारे।
11 अपै्रल 2015 – मुगमा मोची कटिंग में एक सौ वर्ग मीटर में जमीन धंसी।