बिना दावा और बिना डॉक्टर के कैसे हो प्रसव, फायदा निजी किलिनीक की जम के हो रही है कमाई
विनय संगम, बिरनी। प्रखण्ड के सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्र की जिम्मेदारी ढाई लाख की आबादी को स्वस्थ्य रखने की है। लेकिन इसे नजदीक से देखने पर जिम्मेदारी अपनी जगह और अस्पताल अपनी जगह जैसी दिखाई पड़ता है। अस्पताल के प्रसव कक्ष की बात करें तो यहां प्रसव के लिए पहुंचने वाली महिला के लिए नामात्र की सुविधा है।अस्पताल में प्रसव का जिम्मा यहां के दो एनएम का है । ना कोई महिला चिकित्सक ना कोई दवा। प्रसव के दौरान देने वाली लगभग दवा रोगी को बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है अस्पताल में कुछ साधारण दवा ही है जो उसे मिल पाता है। बता दें कि प्रसव के बाद रोगी को 48 घण्टे तक अस्पताल में रखने का निर्देश है। परन्तु प्रसव हो 2 से 3 घण्टे के बाद ही उसे डिस्चार्ज कर दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर जननी सुरक्षा योजना के तहत रोगी को मिलने वाला भोजन भी किसी को नहीं दिया जाता है। अस्पताल भोजन दे भी तो किसे प्रसव के 2 से 3 घण्टे बाद उसे डिस्चार्ज ही कर दे रहा तो किसे देगा।हालांकि रोगी को डिसचार्ज कर दिया जाता है परन्तु कागजों पर वह 48 घण्टे बाद ही डिस्चार्ज हो रहा है । इस तरह उसको मिलने वाला भोजन का पैसा बन्दर बांट किया जाता है। बता दें कि महिला डॉक्टर व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं रहने के वजह से 30 प्रतिशत महिला का प्रसव यहां हो पाता है बाकी 70 प्रतिशत महिला को रेफर कर दिया जाता है। रेफर करने की भी अलग कहानी है कार्यरत एएनएम एवं डॉक्टर के मिलीभगत से स्थानीय किलिनीक से सम्पर्क रखती है रोगी रेफर करने पर उसे कमीशन मिलता है। रेफर की घटना पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने एक को रंगे हाथ पकड़ा भी था जिसके बाद कुछ सुधार हुआ था। यह समस्या पूरी तरह से खत्म तो नहीं हुआ है पर कुछ कम जरूर हुआ है। जानकारी के अनुसार प्रसव के बाद लाभुक को मिलने वाली राशि(1400) वर्षों तक नहीं मिलता है कुछ तो दूसरे बच्चे का प्रसव कर लेते हैं उसके बाद भी उसे यह राशि नहीं मिलता है। इस सम्बंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कुलदीप तिर्की ने बताया कि दवा की कमी है इसके लिए विभाग को सूचना किया गया है जल्द ही यह समस्या खत्म हो जाएगी।