*कोयला तस्करों का मनोबल चरम पर, छापामारी करने आई वन विभाग की टीम पर किया हमला*

*संवादाता चरही*

अवैध कोयले के कारोबार में तस्करों का मनोबल कितना बढ़ गया है इसका जीता जागता उदाहरण सोमवार की रात को देखने को मिला। दरअसल रामगढ़ वन प्रमंडल पदाधिकारी नितेश कुमार को गुप्त सूचना मिली थी कि इंदरा और आसपास से बड़े पैमाने पर अवैध कोयला भंडारण और परिवहन कार्य किया जा रहा है।

टर्बो, विकटा, बोलेरो, सेंट्रो जैसे छोटी-छोटी वाहनों से रात के अंधेरे में तस्करी कर इचाक और पदमा ले जाया जा रहा, जिसे फिर ट्रकों में लोड कर बिहार और उत्तरप्रदेश के मंडियों में ले जाकर बेचा जाता है और मोटी कमाई की जा रही है। इसी को लेकर सोमवार की रात रामगढ़ वन प्रमंडल पदाधिकारी नितेश कुमार, मांडू रेंजर बिनोद नंद राय और वनरक्षी की टीम बनाकर पकड़ने निकले थे। रात में करीब 9 बजे के आसपास 14 माईल में तस्करों के वाहनों को आता देख पीछा किया और पीछा करते हुए तस्करों के ठिकानों तक पहुंच गए।

मौके पर लोड हो रहे गाड़ी को भी पकड़ लिया। गाड़ी को जब्त कर लाने के क्रम में ही तस्करों ने हमला करना शुरू कर दिया। जानकारी के अनुसार तस्करों ने ले-दे के मामला सलटना चाहा। अधिकारी नही माने, जिसके बाद तस्करों ने अपने अन्य साथियों को भी बुला लिया। उन्होंने आते ही अधिकारी और उसकी टीम पर मिर्च पाउडर छिड़क दिया और हाथापाई करने लगे और वाहनों पर भी ईंट-पत्थर से हमला कर दिया।

डीएफओ नितेश कुमार और उनकी टीम काफी देर डटे रहे। अंत मे स्थिति विपरीत होता देख डीएफओ को ओमनी वाहन को घटना स्थल पर छोड़ पीछे हटना पड़ा।हमले के बाद डीएफओ ने कुशल नेतृत्वकर्ता का परिचय दिया। वो रणभूमि से पीछे हटे, भागे नही। उन्होंने अपने टिम में हिम्मत भरा और तस्करों को पकड़कर उनके चरम पर पहुंचे मनोबल को तोड़ने की योजना बनाई।

उन्होंने चरही पुलिस को फोन कर बैकअप भेजने को कहा। चरही पुलिस बल के साथ काफी देर से पहुंची। इस दौरान महत्वपूर्ण समय निकल गया और तस्कर भागने में सफल रहे। इस बीच चुरचू अंचलाधिकारी शशिभूषण सिंह भी पहुंच गए। इसके बाद चरही थाना पुलिस बल के साथ मिलकर डीएफओ घटना स्थल पर पंहुचकर तस्करों और उसकी गाडीयों की खाक छानने लगे।

मलहरटोली और आसपास ढूढने के बाद भी कुछ पता नही चल पाया। अंत मे रामगढ़ डीएफओ को खाली हाथ लौटना पड़ा। लेकिन इन सबके बीच यह घटना कई तरह का सवाल खड़ा करती है कि आखिर तस्करों का मनोबल इतना कैसे बढ़ गया कि उन्होंने वन विभाग की टीम को भी नहीं बख्शा और उन पर हमला कर दिया। इंदरा गांव में कौन-कौन से कोयला तस्करी के मुख्य ठिकाने हैं और इसके पीछे इस गांव से मुख्य तस्कर कौन-कौन हैं। जब तक इन तस्करों पर बड़ी कार्यवाही नहीं की जाए तब तक इन पर लगाम लगना मुश्किल है।

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