लोकसभा चुनाव के लिए जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बहुत पहले ही सीटों का बंटवारा हो गया है, वहीं महागठबंधन में अब भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पिछले एक माह से घटक दल अलग-अलग दावेदारी पेश कर रहे हैं। लेकिन ऐसे हालात अब ज्यादा दिन नहीं रहने वाले। महागठबंधन में भी सीटों का बंटवारा जल्दी ही हो जाने की उम्मीद है।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ कांग्रेस का तालमेल नहीं होने के बाद तो यह भी अटकलें लगाई जाने लगीं कि बिहार में भी कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ सकती है। गांधी मैदान की तीन फरवरी की रैली को संबोधित करने के क्रम में राहुल गांधी ने यह कह इन अटकलों पर विराम लगाया कि कांग्रेस, राजद के साथ मिलकर फ्रंटफुट पर खेलेगी। महागठबंधन में भी सीटों के बंटवारे पर जल्द ही मुहर लग जाने की संभावना है।
लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के अंदर विभिन्न दलों के बीच सीटों का बंटवारा जल्द ही कर दिया जाएगा। अगले 10 दिनों के अंदर आपसी सहमति से इस काम को अंजाम देने की तैयारी है। गांधी मैदान में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की तीन मार्च को आयोजित होने वाली रैली को देखते हुए यह काम इसी सप्ताह पूरा कर लेने की कोशिश की जा रही थी, मगर सीमा पर तनाव के कारण महागठबंधन में अब अगले सप्ताह राय-मशविरा होगा। राजग की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मिलकर चुनावी अभियान का शंखनाद करेंगे।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में पहली मार्च को घटक दलों की बैठक आयोजित की गई है, जिसके अब चार-पांच दिन आगे बढ़ जाने की संभावना है। रांची में राहुल गांधी की दो मार्च को होने वाली रैली भी इसके आगे टलने का एक कारण होगी। महागठबंधन की यह बैठक राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और उपेंद्र कुशवाहा की मौजूदगी में होगी। बैठक में शरद यादव, जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी भी शामिल होंगे।
सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में पिछले एक माह से भ्रम की स्थिति है। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी की 20 सीटों की मांग ने स्थिति और दिलचस्प बना दी है। जबकि, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने के कारण ही राजग से अलग हुए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस लगातार यह दावा कर रही है कि पार्टी पहले से कहीं अधिक मजबूत स्थिति में है। राहुल गांधी की तीन फरवरी को गांधी मैदान में हुई रैली का भी इस संबंध में यह कह हवाला दिया जा रहा है कि तीन दशकों बाद पार्टी ने अपने बल पर सफल रैली की है।
महागठबंधन के सूत्रों की मानें तो घटक दलों की अलग-अलग दावेदारी बयानबाजी से अधिक कुछ नहीं है। पहले से तय फॉर्मूले में ही हल्की फेरबदल कर सीटों का बंटवारा हो जाएगा। जेल में बंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद इस समय रांची के रिम्स में इलाज करा रहे हैं और घटक दलों के नेताओं से उनकी कई राउंड बातचीत हो चुकी है।
जो फॉर्मूला तय हुआ था, उसके तहत प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में से आधी पर राजद के प्रत्याशी लड़ेंगे, जबकि शेष 20 सीटों का बंटवारा अन्य घटक दलों के बीच होगा। कांग्रेस को 10 सीटें दी जा सकती हैं। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में राजद ने उसे 12 सीटें दी थीं। तब महागठबंधन में रालोसपा, हम या मुकेश सहनी की विकासशील इनसान पार्टी शामिल नहीं थी।
लालू प्रसाद यादव से रांची में राहुल गांधी और कांग्रेस के बिहार प्रभारी को छोड़ कई नेता मुलाकात कर चुके हैं। इनमें शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी प्रमुख हैं। महागठबंधन में समस्या उम्मीदवारों को लेकर भी है। चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों को लेकर राजद के अंदर भी मंथन है, जबकि कांग्रेस की टिकट की उम्मीद रखने वालों में भाजपा से आए कीर्ति आजाद, भाजपा छोडऩे की घोषणा कर चुके पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह, पूर्व सांसद लवली आनंद प्रमुख हैं। इन्हें क्रमश: दरभंगा, पूर्णिया एवं शिवहर लोकसभा सीटों के लिए टिकट चाहिए। जन अधिकार पार्टी के संरक्षक सांसद पप्पू यादव और मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह भी टिकट के लिए कांग्रेस की ओर नजरें गड़ाए हैं।