बिहार: एनडीए में होली तक उम्‍मीदवारों की घोषणा, नवादा से गिरिराज सिंह का पत्ता कटा

राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में उम्‍मीवारों की घोषणा होली तक हो जाने की उम्‍मीद है। हालांकि, सुरक्षित सीटों को लेकर पेंच अभी भी फंसा हुआ है। उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के फायरब्रांड नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह नवादा सीट से बेदखल कर दिए गए हैं।

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने बताया है कि पार्टी में उम्मीदवार चयन में कोई बाधा नहीं है। कोटे की सीटों की पहचान भी लगभग पूरी हो गई है। चयन के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पहले ही अधिकृत किया जा चुका है। उन्‍होंने बताया कि राजग में उम्‍मीदवारों का चयन लगभग फाइनल हो चुका है।

भाजपा और जदयू के बीच सीटों के बंटवारे में दिक्कत नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की एक सीट मुंगेर पर शुरुआती दिनों में परेशानी हो रही थी। लेकिन वह आपसी सहमति से दूर हो गई है। लोजपा को मुंगेेर के बदले नवादा सीट मिली है। विदित हो कि गत लोकसभा चुनाव में नवादा सीट पर भाजपा के गिरिराज सिंह विजयी हुए थे। स्‍पष्‍ट है कि इस बार नवादा सीट पर गिरिराज सिंह का टिकट कट गया है। वहां लोजपा मुंगेर की सांसद वीणा देवी को टिकट दे सकती है।

लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा कि अब राजग में लोजपा की सीटों का कोई मसला नहीं रह गया है। हम छह सीट जीते थे। उतनी सीटें मिल गईं हैं। मुंगेर के बदले नवादा को हमने स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि लोजपा की बाकी पांच सीटें पुरानी ही हैं। ये हैं- जमुई, खगडिय़ा, समस्तीपुर, वैशाली और हाजीपुर। उन्होंने बताया कि रामचंद्र पासवान समस्तीपुर और चिराग पासवान जमुई से लड़ेंगे। बाकी उम्मीदवारों का नाम संसदीय बोर्ड की बैठक में तय होंगे।

सूत्रों ने बताया कि राजग में सुरक्षित सीटों को लेकर पेंच अभी भी फंसा हुआ है। राज्य में लोकसभा की कुल छह सुरक्षित सीटें हैं। 2014 के चुनाव में भाजपा और जदयू की तीन-तीन सीटों पर जीत हुई थी। इस बार जदयू दो सुरक्षित सीटें मांग रहा है। खबर है कि भाजपा गोपालगंज के लिए राजी हो गई है, लेकिन लोजपा कोई भी सुरक्षित सीट छोडऩे को राजी नहीं है। वजह यह कि लोजपा के कोटे की तीनों सीटें परिवार में ही हैं। जदयू चाहता है कि समस्तीपुर की सुरक्षित सीट उसके कोटे में आ जाए। लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के छोटे भाई रामचंद्र पासवान वहां के सांसद हैं। विकल्प के तौर पर जदयू ने सासाराम का प्रस्ताव दिया है। सासाराम पर अभी भाजपा का कब्जा है।

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