राजनीतिक संवाददाता द्वारा
पटना : स्थानीय प्राधिकार से हुए विधान परिषद चुनाव के नतीजे में भूमिहार और राजपूतों ने बाजी मारी, मुसलमानों और दलितों का सूपड़ा साफ होगया ! विधान परिषद के चौबीस सीटों पर सोलह चेहरे बिल्कुल ही नए होंगे। थोड़े खालिस अंदाज में कहिए तो इन्हें हल्दी लग गई है। जीतने वालों के लिए किसी भी सदन में प्रवेश पहली बार तो जरूर हो रहा पर उनका बैकग्राउंड राजनीतिक रहा ही है। गया में मनोरमा देवी का हारना और राजद के रिंकू यादव का जीतना मगध क्षेत्र के लिए बड़ी खबर है। मनोरमा देवी जदयू की प्रत्याशी थीं और पहले जीत चुकी हैं। इस बार जिस रिंकू यादव ने उन्हें हराया वह पहली बार जीते हैं पर मगध क्षेत्र में बाहुबल के लिए चर्चित पुराने दिग्गज विधायक के करीबी रिश्तेदार हैं। इसी तरह औरंगाबाद में पहली बाद दिलीप सिंह को जीत हासिल हुई है। वह भाजपा की टिकट पर जीते हैं पर उनका अपना राजनीतिक बैकग्राउंड रहा है। वह इस चुनाव के लिए तैयारी में पहले से थे। पटना से कार्तिक मास्टर के जीतने की बात बहुत पहले से दौर रही थी। उनके लिए भी यह पहला मौका है कि वह किसी सदन के सदस्य निर्वाचित हुए हैैं। पर राजनीतिक तौर पर वह काफी सेंसेटाइज रहे हैैं। अनंत सिंह के चुनाव की कमान उन्हीं के जिम्मे रही है।
मधुबनी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अंबिका गुलाम यादव को जीत हासिल हुई है। वह पहली बार किसी सदन में जा रही हैं। उनके पति गुलाब यादव राजद की टिकट पर विधायक रहे हैं। उनकी जीत को भी महत्व दिया जा रहा। समस्तीपुर से तरुण कुमार भी पहली बार जीते हैं।
बेगूसराय के राजीव सिंह भी पहली बार जीतकर विधान परिषद जा रहे हैं। वह कांग्रेस की टिकट पर जीते हैं। उन्होंने भाजपा के पुराने विधान पार्षद रजनीश को हराया है। राजीव सिंह का राजनीतिक बैकग्राउंड यह है कि वह पूर्व मंत्री व जदयू नेता आरएन सिंह के पुत्र हैं। उनके भाई संजीव परबत्ता से जदयू के विधायक हैं। मुंगेर से अजय सिंह भी पहली बार जीते हैं। भागलपुर से विजय सिंह भी पहली बार किसी सदन में जा रहे। वैसे वह काफी पहले से चुनावी राजनीति में हैैं। सहरसा से अजय सिंह के लिए भी सदन में जाने का पहला मौका है।
सिवान से विनोद जायसवाल भी पहली बार जीत कर जा रहे। इसी तरह गोपालगंज से राजीव सिंह के लिए भी यह प्रथम मौका है। सीतामढ़ी में रेखा देवी, वैशाली से भूषण राय, नवादा से अशोक यादव व बेतिया से इंजीनियर सौरभ भी पहली बार किसी सदन में जा रहे। अशोक यादव का राजनीतिक बैकग्राउंड यह है कि वह राजवल्लभ यादव के रिश्तेदार हैैं। पूर्वी चंपारण से विजयी रहे महेश्वर सिंह भी पहली बार विधान परिषद में होंगे। हालांकि, वे इससे पहले विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।