झारखंड के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने बीसीसीएल की भौंरा कोल माइंस और चाइबासा के झींकपानी स्थित एसीसी लिइम स्टोन माइंस को बंद करने का आदेश दिया है. कंपनी अब इन खदानों में खुदाई का काम नहीं कर सकेगी. गुरुवार को हुई बोर्ड की बैठक में ये फैसला लिया गया है. दोनों खदानों का इनवायरमेंटल क्लीयरेंस और सीटीओ रद्द कर दिया गया है. बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बख्सी ने बताया कि भौंरा माइंस में प्रदूषण मानकों का की अवहेलना की जा रही थी.
एसीसी लाइमस्टोन माइंस को साल 2004 में इनवायरमेंटल क्लीयरेंस मिला था. जिसकी मियाद केवल 9 साल थी. मियाद खत्म होने बावजूद पिछले 5 साल से बिना इनवायरमेंटल क्लीयरेंस के ही खदान को चलाया जा रहा था. जो कि प्रदूषण मानकों का सीधा उलंघन है. बख्सी ने बताया कि ग्रामीणों की ओर से भी लगातार बोर्ड को शिकायतें मिल रही थी. जिसकी जांच के बाद इसे बंद करने का फैसला किया गया है. वहीं, कंपनी पर पांच साल तक अवैध तरीके से खदान चलाने की वजह से जुर्माना भी लगाया गया है.
भौंरा माइंस में हो चुका है गैस का रिसाव-
बीसीसीएल की इजे एरिया के भौंरा माइंस में अचानक आग और गैस निकलने लगी थी. पंखा घर से आग और गैस की लपटें निकल रही थी. जिसकी वजह से कुछ दूरी पर रहे रहे लोगों में अफरातफरी मच गई. आग व गैस रसाव के कारण आसपास में रहने वाले सैकड़ों घरों के लिए खतरा पैदा हो गया था. लगातार निकल रही गैस और काले धुए की वजह से आस-पास के क्षेत्रों में धुंध सा गया था.
नबाद में बढ़ रहा प्रदूषण का स्तर-
बता दें कि धनबाद का वातावरण दिन ब दिन प्रदूषित हो रहा है. एक मनुष्य दिन भर में औसतन 22 हजार बार सांस लेता है. इसी सांस के दौरान मानव 35 पौंड वायु का प्रयोग करता है. यदि यह प्राण देने वाली वायु शुद्ध नहीं होगी तो यह प्राण देने की जगह प्राण ले लेगी. यहां वायु प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत बीसीसीएल के खदान में हो रहे उत्पादन एवं कोल ट्रांसपोर्टेशन है. इसके अलावा वाहनों की संख्या में वृद्धि होना, यातायात की सुदृढ़ व्यवस्था का न होना भी वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों में शुमार है.