चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के सामने और एक संकट

चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के सामने और एक संकट

News Agency : लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने वाली कांग्रेस के मात्र 52 सांसद ही संसद पहुंचेंगे और उसको नेता विपक्ष का भी दर्जा नहीं मिलेगा. राहुल गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हुए हैं और अगर वह नहीं मानते हैं तो पार्टी की कमान कौन संभलेगा यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है. इसी बीच मध्य प्रदेश और कर्नाटक की राज्य सरकारों पर संकट मंडराया हुआ है. कर्नाटक कांग्रेस के नेता केएन रजन्ना का कहना है कि पीएम मोदी के शपथ लेते ही राज्य सरकार गिर जाएगी. वहीं मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहीं बीएसपी की विधायक का आरोप है कि बीजेपी उन्हें 50 करोड़ रुपये का ऑफर दे रही है. पार्टी अभी इन संकटों से जूझ रही है कि उसके आगे हरियाण, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव भी खड़े हैं. कांग्रेस का अध्यक्ष जो भी बनेगा इन राज्यों में पस्त पड़े कांग्रेस कार्यकर्ताओं में फिर से जान फूंकने की बड़ी चुनौती होगी. दूसरी ओर कांग्रेस के सामने एक और बड़ा संकट आने वाला है. बीजेपी अगले साल तक राज्यसभा में भी पूर्ण बहुमत पा लेगी इसके बाद उसको अपने एजेंडे को लागू करने में रोकना आसान नहीं होगा. फिलहाल एनडीए के पास राज्यसभा में 102 सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन संप्रग के पास 66 और दोनों गठबंनों से बाहर की पार्टियों के पास 66 सदस्य हैं. एनडीए के खेमे में अगले साल नवंबर तक लगभग 18 सीटें और जुड़ जाएंगी. एनडीए को कुछ नामित, निर्दलीय और असंबद्ध सदस्यों का भी समर्थन मिल सकता है. राज्यसभा में आधी संख्या 123 है, और ऊपरी सदन के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्य करते हैं. अगले साल 22 राज्यों को 72 सीटों पर जब राज्यसभा चुनाव होगा तो कांग्रेस के पास एक मौका होगा कि वह मनमोहन सिंह को राज्यसभा भेज पाए लेकिन उसके लिए उसे कम जेडीएस की मदद चाहिए होगी. लेकिन इसमें भी एक कांग्रेस और जेडीएस को मनमोहन सिंह या एचडी देवगौड़ा में से किसी एक चुनना होगा.

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