राजनीतिक रूप से मुखर बिहार में इस बार लोकसभा चुनाव का मुकाबला दिलचस्प हो गया है. एक तरफ महागठबंधन मजबूती से ताल ठोंक रहा है. तो दूसरी तरफ बीजेपी की अगुवाई में एनडीए प्रतिद्वंदियों को मात देने के लिए हर दांव-पेंच चल रहा है. बीजेपी का दावा है कि इस बार सहयोगियों को मिलाकर एनडीए के खाते में बिहार की 40 में से 30 से ज्यादा सीटें आएंगी, लेकिन राजनीतिक सुधारों पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) का एक सर्वे भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने वाला है.
एडीआर के सर्वे के मुताबिक बिहार के वोटर रोजगार, सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाओं समेत तमाम मुद्दों पर केंद्र की मोदी सरकार के कामकाज से नाख़ुश हैं. बिहार के मतदाताओं की पहली प्राथमिकता रोजगार है और सर्वे में 49.95 फीसद वोटर इसके पक्ष में खड़े नजर आए, लेकिन उन्होंने रोजगार सृजन के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर नाराजगी जताई. 5 में सिर्फ 2.05 अंक ही दिये. यानी औसत से भी कम.
सर्वे के मुताबिक जहां बिहार के शहरी मतदाताओं ने रोजगार और पीने के पानी को अपनी पहली और दूसरी प्राथमिकता बताया है. तो दूसरी तरफ, ग्रामीण मतदाताओं के लिए रोजगार और फसलों की सिंचाई के लिए पानी का इंतजाम पहली और दूसरी प्राथमकिता है. चौंकाने वाली बात यह है कि शहरी और ग्रामीण मतदाताओं ने अपनी दोनों प्राथमिकता पर सरकार द्वारा उठाए गए कदम को औसत से भी कम माना है. इससे उनकी नाराजगी साफ जाहिर होती है.
बिहार में 40 सीटें, 7 चरणों मतदान
11 अप्रैल : जमुई औरंगाबाद, गया, नवादा,
18 अप्रैल : बांका, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर
23 अप्रैल : खगड़िया, झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा,
29 अप्रैल : दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर
6 मई : मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारन, हाजीपुर, सीतामढ़ी,
12 मई : पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, , शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सिवान, महाराजगंज, वाल्मीकिनगर
19 मई : नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकट, जहानाबाद