हजारीबाग। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन शिक्षक दिवस के अवसर पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षा दर्शन और भारतीय शिक्षा नीति पर आधारित एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन मंगलवार को विनोबा भावे विश्विद्यालय के विवेकानंद सभागार में किया गया। जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय शिक्षा शास्त्र के निदेशक सह हिंदी विभाग के सह प्राध्यापक कृष्ण कुमार गुप्ता और मंच संचालन सह प्राध्यापिका डॉ विनीता बंकिरा ने किया।कार्यकर्म में बतौर मुख्य अतिथि कुलानुशासक सह डीएसडब्ल्यू विनोबा भावे विश्वविद्यालय डॉ मिथिलेश कुमार व विशिष्ट अतिथि के रूप में विनोबा भावे विश्वविद्यालय शिक्षा शास्त्र विभाग के निदेशक के. के. गुप्ता शरीक हुए।
कार्यकर्म में मुख्य रूप से रिटायर्ड प्रोफेसर (राजनीति शास्त्र) बालेश्वर प्रसाद व प्रोफेसर यामिनी सहाय मुख्य वक्ता के रूप में शरीक हुए। आमंत्रित अतिथियों में भूतपूर्व निदेशक शिक्षा शास्त्र विभाग विभावि सह पुर्व विभाग अध्यक्ष हिंदी विभाग डॉ मंजुला सांगा, भूतपूर्व निदेशक विभावि शिक्षा शास्त्र विभाग सह पुर्व डीएसडब्ल्यू सेवानिवृत्त डॉ मार्ग्रेट लकड़ा, विभाग अध्यक्ष मानवशास्त्र विभाग विभावि डॉ जॉनी रूफीना तिर्की शरीक हुई साथ ही अन्य अतिथियों में हिंदी विभाग के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर डॉ दुबे व डॉ साहू शामिल हुए। मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षा दर्शन और भारतीय शिक्षा नीति पर आधारित एक दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए शिक्षा के महत्व को बताया।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षा दर्शन और भारतीय शिक्षा नीति पर आधारित एक दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि के .के. गुप्ता ने कहा कि शिक्षा का अर्थ समानता का अधिकार और स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए कहा कि शिक्षा के तीन अहम बिंदु हैं। प्राकृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक। शिक्षा की नींव इन्हीं तीन चीजों पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एक विद्यार्थी के गुण और दोष की जिम्मेदारी हर शिक्षक के ऊपर होती है। शिक्षा के क्षेत्र में भाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि मातृभाषा और वैश्विक भाषा का ज्ञान एक शिक्षक के लिए अति आवश्यक है।आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा की हम लोगों का दायित्व होना चाहिए कि हमारी शिक्षा व्यवस्था जवाब देह हो। कहा कि मनुष्य होने के लिए बुनियादी शर्त यह है कि हमें एक दूसरे के सुख दुख में सदैव खड़े होना चाहिए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के महत्व को बताते हुए कहा कि समान शिक्षा व्यवस्था लागू होना चाहिए। विषमता पूर्ण व्यवस्था में समता पूर्ण व्यवस्था होना चाहिए।
कहा कि सामाजिक न्याय तभी सफल होगा जब आर्थिक सहयोग होगा।प्रोफेसर यामिनी सहाय ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ राधाकृष्णन शिक्षा को मनुष्य और समाज का निर्माण करने वाला प्रमुख साधन मानते थे। शिक्षा का महत्व केवल ज्ञान और कौशल के विकास तक ही नहीं बल्कि शिक्षा को हमें नैतिक रूप से विकास के लिए प्रशिक्षित करना होगा।शिक्षा शास्त्र विभाग विभावि के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुति की गई जिसमें शिक्षा शास्त्र विभाग विभाविके विद्यार्थियों ने गीत, संगीत और नृत्य की शानदार प्रस्तुति से सभी को मनमोहित किया।
उनके शानदार प्रस्तुति की सभी ने खुब सराहना की और तालियां बजाकर सभी ने उनके प्रतिभा की हौसला अफजाई किया। तालियों की गड़गड़ाहट से विभावि का विवेकानंद सभागार गुंज उठा।इस अवसर पर शिक्षक दिवस के उपलक्ष में पूर्व में आयोजित प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को लेकर मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। जिसमें मुख्य रूप से अनुभा लकड़ा, ज्योति सोरेन, ललिता सोरेन, सेलिना सोरेन, इला सोरेन, सेलिना एक्का, जेनीता तिर्की, श्वेता ओलिव बाखला, प्रिया शालिनी आदि शामिल है।कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ रजनीश कुमार, डॉ विनिता बंकीरा, शालिनी अवध्या, डॉ कुमारी भारती ने अहम भूमिका निभाई।शिक्षा शास्त्र विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर तनवीर युनुस ने स्वागत भाषण देते हुए विषय प्रवेश कराया। डॉ विनिता बंकीरा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों और विद्यार्थियों को धन्यवाद दिया।