क्राइम संवाददाता द्वारा
पटना: बिहार पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित डीआईजी रेल राजीव रंजन एक महिला के शोषण के आरोप में फंसते नजर आ रहे हैं. दरअसल, महिला के द्वारा लगाए गए आरोप के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने CID जांच के आदेश दिए थे. इस जांच में उन पर लगे आरोपों को सही पाया गया. मिली जानकारी के अनुसार खुफिया एजेंसी ने IPS अधिकारी के आचरण को संदिग्ध माना है.ये भी पढ़ें- पटना में ऑनलाइन माध्यम से चल रहा था सेक्स रैकेट, 3 लड़कियां और 3 युवक गिरफ्तारआईपीएस ने किया महिला का यौन शोषणरिपोर्ट में पद के दुरुपयोग का आरोप साबित: CID की खुफिया रिपोर्ट के आधार पर राजीव रंजन को पद का दुरुपयोग करने का दोषी माना जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार डीआईजी राजीव रंजन के खिलाफ 400 पन्नों की जांच रिपोर्ट तैयार कर डीजीपी को भेजा गया है. बिहार पुलिस मुख्यालय के विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में डीजीपी की समीक्षा के बाद अपर मुख्य सचिव को कार्रवाई करने का निर्णय लेना होगा.
”अभी ये मामला जांच के प्रक्रिया के आधीन है इसलिए इसपर कुछ बोलना संभव नहीं है. सीआईडी ने इसकी जांच की है. जांच की रिपोर्ट आई है लेकिन इसपर कुछ भी बोलना बिऑन्ड जूरिडिक्शन होगा”- जितेन्द्र सिंह गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय2018 में यौन शोषण का आरोप: दरअसल, साल 2018 में आईपीएस राजीव रंजन की हैदराबाद में रह रहे झारखंड के एक महिला से फेसबुक के जरिए दोस्ती हुई थी. यह दोस्ती धीरे-धीरे गाढ़ी हो गई. अब पीड़िता के अनुसार राष्ट्रीय पुलिस एकेडमी की ट्रेनिंग पर गए राजीव रंजन 4 अप्रैल 2018 की शाम को एक कार से वनस्थलीपुरम थाना क्षेत्र स्थित उनके घर पहुंचे थे. महिला का आरोप है कि अकेला पाकर उनके साथ यौन उत्पीड़न (IPS sexually assaulted woman) किया. इसके बाद भी यह सिलसिला उनके द्वारा जारी रहा. जब महिला के द्वारा उनसे दूरी बनाने चाही तो उन्होंने अपने पद का धौंस दिखाना शुरू कर दिया. 2018 में उनके खिलाफ वनस्थलीपुरम थाने में शिकायत पत्र दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने केस वापस लेने को लेकर उनके परिजनों के खिलाफ पटना के अगम कुआं थाना क्षेत्र में रंगदारी को लेकर झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया था.
मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे मामले में संज्ञान नहीं लेते तो इस मामले का सच सामने नहीं आता. दरअसल, पीड़िता ने राजीव रंजन और उसके मददगारों के खिलाफ दुराचार के बाद मामले को दबाने के लिए बेटे को अगवा करने, पति सहित उसे झूठे केस में फंसा कर जेल भेजने और वहां टॉर्चर कराने की शिकायत थाना से लेकर डीजीपी गैलरी तक की थी. पीड़िता के भाई ने 11 अक्टूबर 2018 को मुख्यमंत्री के यहां शिकायत भी दर्ज कराई थी. पुलिस मुख्यालय की माने तो इस पूरे मामले में जांच रिपोर्ट की समीक्षा के बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी. इसमें कुछ समय लगता है.