राजनीतिक संवाददाता द्वारा
पटना : बिहार के बक्सर से उठी अग्निपथ की चिंगारी लपटों में तब्दील हो चुकी है। पूरा उत्तर भारत धधक रहा है। अब तो इसने अपना दायरा साउथ इंडिया तक बढ़ा लिया है। लाठी-डंडा, पत्थर और आग के बाद गोली-बंदूक ने भी एंट्री ले ली है। सासाराम में जवान को गोली मार दी गई। बाढ़ में हालात पर काबू करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। विरोध के नाम पर हिंसक भीड़ ऐसी कि सबकुछ तबाह कर देने पर आमादा है। उपद्रवियों ने सबसे ज्यादा उत्पात बिहार में मचाई। दो दिनों में 16 ट्रेनों को फूंक दिया गया। सैकड़ों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। करोड़ों रुपए की संपत्ति खाक हो गई। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये कैसे भावी अग्निवीर हैं जो देश की संपत्ति को तहस-नहस करने पर उतारू हैं?
बिहार से लेकर तेलंगाना तक तांडव मचा हुआ है। सेना में बहाली के लिए केंद्र सरकार की ओर से नया नियम लाया गया। जिसे अग्निपथ नाम दिया गया। सरकार ने इसकी घोषणा मंगलवार को बड़े ही तामझाम से की थी। इसके तहत चार साल की नौकरी होगी और उसके बाद उसमें से एक चौथाई जवानों को स्थाई कर दिया जाएगा। बाकी रिटायर हो जाएंगे। उनको एकमुश्त पैसा मिल जाएगा। वो चाहें तो आगे कोई रोजी-रोजगार कर सकते हैं। मगर सरकारी नौकरी की गारंटी चाहनेवाले नौजवानों की भीड़ में उपद्रवी बक्सर स्टेशन पहुंच गए और ट्रेनों को रोक दिया। मीडिया के जरिए ये बात पूरे देश में फैल गई। इसके बाद माचिस की तिल्ली लेकर हिंसक भीड़ सड़कों और रेलवे ट्रैक पर उतर गई। सबकुछ बर्बाद करने पर उतारू उपद्रवी खुद को देश की रक्षक बताते रहे। मगर इनकी हरकतों ने सड़क छाप गुंडे को भी पीछे छोड़ दिया।
दो दिनों से जल रही ट्रेनों के बीच सासाराम से गोली मारने की खबर ने हैरान कर दिया। सोचने पर मजबूर कर दिया कि ये कैसे नजवान हैं, जो खुद को देश की रक्षा करने का दावा करते हैं। देश के दुश्मनों से सीना तानकर मुकाबला करने की हुंकार भरते हैं। क्या ये मान लिया जाए कि इनके लिए देश की सेवा महज एक सरकारी नौकरी है? जिसके एवज में इनको कई तरह की सुविधाए सरकार की ओर से मिलती है और इसी के लिए ये तमाम कसरत करते हैं। जैसे ही इनको पता चला कि इनमें से सिर्फ 25 फीसदी को ही स्थाई नौकरी का मौका मिलेगा तो सड़कों पर हिंसक भीड़ का हिस्सा बन गए। सासाराम सहित कई शहरों में सबकुछ बर्बाद करने पर उतारू हो गए। शिवसागर थाने के एक जवान दीपक कुमार सिंह के पैर में गोली मार दी। मतलब, ये कट्टा लेकर प्रदर्शन करने आए थे। जबकि शिवसागर के थानेदार सुशांत कुमार मंडल के पैर टूट गए।
कथित तौर पर देश सेवा की बात करनेवाले दरअसल सरकार नौकरी की लालच दिल में भरे हुए हैं। इनकी ख्वाहिश होती है कि किसी तरह सेना में बहाल हो जाएं। सारी सुविधाएं मिलने लगे। एक बार नियुक्ति हो गई तो पूरा जीवन सुधर जाने का सपना रहता है। नए नियम में इस पेंच को टाइट कर दिया गया है। अगर चार साल में खुद को 25 फीसदी लायक नहीं बनाए तो ससम्मान सेना से विदाई का प्रावधान है। सरकार चाहती है कि देश की सेना नौजवान रहे ताकि किसी भी स्थिति से निपटने में कोई परेशानी न हो। तीन चौथाई जवान हर चार साल में बदलते रहे। जबकि उपद्रवी इसे सरकारी नौकरी की गारंटी समझते हैं। इस का नतीजा है कि बिहार और यूपी सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में ये बवाल दिख रहा है।