अरुण कुमार चौधरी
इस समय देश में हिंदुओं को डराकर भाजपा वाले मोदी जी का राज करना चाहते ,क्योंकि इस देश में महंगाई और बेरोजगारी चरम सीमा पर है !इस मुद्दे से भटकाने के लिए पूरे देश में हिंदू खतरे का माहौल बनाया जा रहा है, जबकि देश में कट्टर हिंदूवादी मोदी ऐसा प्रधानमंत्री है! इसके साथ-साथ कई राज्यों में योगी और शिवराज मामा ऐसी बुलडोजर मुख्यमंत्री है ,इसके अलावा बिपलब देव ऐसे करीब डेढ़ दर्जन मुख्यमंत्री भारत के विभिन्न राज्यों में है फिर भी देश में हिंदू खतरे में—–
इसके साथ-साथ देश में राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति तथा कई दर्जन मंत्री तथा सैकड़ों एमपी और हजारों एमएलए हिंदू है !फिर भी देश में हिंदू खतरे में—
इसके साथ-साथ देश में 95% मीडिया मोदी और भाजपा के गोदी में बैठकर दिन-रात मोदी -मोदी करते हैं फिर भी देश में हिंदू खतरे में——–
इसमें कई गोस्वामी और चौधरी जैसे एंकर, रिपोर्टर और संपादक भाजपा की झूठी बातों का प्रचारित करने के लिए हिंदूवादी तलवार लेकर मोदी जी के लिए लड़ रहे हैं फिर भी देश में हिंदू खतरे में है—–
दिल्ली से प्रयाग और हरिद्वार का गुंडा भगवाधारी खुलेआम मुसलमानों को गाली देते रहता है !फिर भी देश में हिंदू खतरे में ——
इसके अलावे झूठा और ढोंगी लाला रामदेव ऐसे दर्जनों बाबा दिन-रात मोदी -मोदी करते रहते हैं फिर भी देश में हिंदू खतरे में है ——–
अभी सिर्फ और सिर्फ देश में नफरत ही नफरत समाज में पैदा हो रहा है !इस समय में बाबासाहेब अंबेडकर जी के संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए उत्तर प्रदेश के योगी बाबा का बुलडोजर तथा शिवराज मामा का बुलडोजर ने मुसलमानों के घरों को पस्त कर दिया और जिसमें कई घर प्रधानमंत्री आवास योजना से गरीबों का घर था ,फिर भी देश में हिंदू खतरे में है——
डॉ. आंबेडकर एक आधुनिक लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण की परियोजना के सबसे बड़े सिद्धान्तकारों और शिल्पियों में थे। आज देश में वह परियोजना गहरे संकट में फंस गई है।
आज देश में संवैधानिक मूल्यों के लिए जो संकट है, वह अभूतपूर्व है। यह सत्ता संरक्षित बहुसंख्यकवादी फासीवादी अभियान कई अर्थों में 1975 के आपातकाल या 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौर से अधिक संगीन है। आपातकाल सत्ता की निरंकुशता थी, जिसे जनसमर्थन अथवा सामाजिक वैधता नहीं प्राप्त थी। उल्टे सरकार के ख़िलाफ़ जनता का एक ताकतवर आंदोलन था जिसे दबाने के लिए ही इमरजेंसी लगी थी। जनता ने पहला मौका मिलते ही प्रचंड बहुमत से इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेंका था।
ठीक इसी तरह बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौर में फासीवादी अभियान को केंद्रीय सत्ता का संरक्षण नहीं प्राप्त था। मस्जिद गिरने के बाद जनता और विपक्ष की ओर से जबरदस्त प्रतिक्रिया (backlash ) हुई, भाजपा की तीन तीन राज्य सरकारें बर्खास्त हुई थीं, उसके तुरन्त बाद उत्तर प्रदेश में ही भाजपा सत्ता से बाहर हो गयी थी।
लेकिन आज majoritarian फासीवादी अभियान को सत्ता का खुला संरक्षण प्राप्त है, संवैधानिक संस्थाएं पंगु हैं। किसी सशक्त विरोधी नैरेटिव के अभाव में फासीवादी प्रचार अभियान बहुसंख्यकों के बीच एक तरह की सामाजिक वैधता अर्जित करने की जीतोड़ कोशिश में लगा है।
डॉ. आंबेडकर आधुनिक राष्ट्रनिर्माण की राह में आने वाले इन खतरों को समझते थे और उन्हें लेकर उन्होंने आगाह किया था। हिन्दूराष्ट्र को लेकर उन्होंने चेतावनी दी था, ” अगर वास्तव में हिन्दूराज बन जाता है तो निस्संदेह इस देश के लिए भारी खतरा उत्पन्न हो जाएगा। हिंदुत्व स्वतंत्रता-समानता-बंधुत्व के लिए खतरा है। इस कारण जनतंत्र के लिए यह अनुपयुक्त है। हिन्दू राज को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए।”
हिन्दू राष्ट्र को पूरी तरह खारिज करते हुए उन्होंने आधुनिक राष्ट्रनिर्माण की एकल प्रक्रिया के अंग के बतौर जाति-विनाश, सामाजिक लोकतन्त्र से संपुष्ट राजनीतिक लोकतन्त्र तथा राजकीय समाजवाद के आर्थिक कार्यक्रम का प्रस्ताव किया था।
ऐसे इस समय प्रबुद्ध लोगों को चिंतन करना होगा कि देश में हिंदू -मुस्लिम की बात में देश को जलते देखते रहेंगें या फिर गांधीजी के अहिंसक आंदोलन को अपना कर देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने में एक जुट बनाये रखना की प्राथमिकता होनी चाहिए