मोदी सरकार का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट फ्लाॅप साबित हुआ: कांग्रेस

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि मोदी जी का 100 स्मार्ट सिटी का वादा फ्लाॅप प्रोजेक्ट साबित हुआ। पिछले पांच वर्षों में 2 लाख करोड़ रूपये के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में मोदी सरकार ने सिर्फ 07 प्रतिशत राशि ही उपलब्ध कराई, यहां तक कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को भी सिर्फ 8.63 प्रतिशत राशि ही उपलब्ध कराई गई।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता श्री शाहदेव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने भाजपा के घोषणा पत्र में 100 नई स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया था, अन्य चुनावी घोषणाओं की तरह ही स्मार्ट सिटी मिशन ने शुरू होने से पहले ही दम तोड़ दिया। कुल 2 लाख 3 हजार 1 सौ 72 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट को पांच वर्षों में 07 प्रतिशत यानि 14882 करोड़ रूपये मोदी सरकार दे पायी। मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कुल 2267.62 करोड़ रूपये के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार से पिछले चार वर्षों में मात्र 8.63 प्रतिशत यानि 196 करोड़ रूपये की धनराशि ही मिल पाई। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतिम दो वर्षों में मोदी सरकार द्वारा दी जाने वाली धनराशि निरन्तर घटती गई। यह खुलासा खुद मोदी सरकार ने आरटीआई के जवाब में किया है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता श्री शाहदेव ने कहा कि मोदी जी ने वाराणसी के लोगों से काशी को क्योटो बनाने का वादा किया किया था पर सच्चाई यह है कि यह वादा भी जुमला निकाला। जब प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र के जनता से किये वायदा पूरा नहीं करते तो देश के लोगों को उनके आश्वासन पर भरोसा कैसे हो सकता है, मोदी जी ने वाराणसी सहित देश के लोगों से झूठे वायदे किये जो पूरे नहीं किये जा सकते हैं।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता श्री शाहदेव ने कहा कि दस स्मार्ट सिटी को पांच वर्षों में मात्र दो-दो करोड़ रूपये ही दिये गये, इससे कार्य प्रारंभ भी नहीं किया जा सका। झारखंड में स्मार्ट सिटी मिशन के तहतं रांची का चयन वर्ष 2016 में किया गया था, सितंबर 2017 में धुर्वा की 656 एकड़ खाली जमीन पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का शुभारंभ हुआ। अक्टूबर में स्मार्ट सिटी सीईओ की नियुक्ति हुई, लेकिन मात्र 6 माह में सीईओ ने इस्तीफा दे दिया। इस वर्ष जून से रांची स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन अतिरिक्त प्रभार में चल रहा है। अभी तक स्मार्ट सिटी की लैंड अलॉटमेंट पॉलिसी नहीं बनी। भारत सरकार ने अबतक करीब 400 करोड़ रुपए नगर विकास विभाग को दिया है, लेकिन अधिकतर फंड अभी भी खर्च नहीं हुआ। अन्य शहरों की स्थिति भी लगभग एक जैसा है

केन्द्रशासित चण्डीगढ़ को कुल 6800 करोड़ रूपये में से मात्र 4.35 प्रतिशत यानि मात्र 296 करोड़ रूपये ही केन्द्र व यूटी सरकार से मिल पाए।

शिलांग(मेघालय), डिंडिगुल (तमिलनाडू), अमरावती व ग्रेटर मुम्बई (महाराष्ट्र), गाजियाबाद, मेरठ/रायबरेली, रामपुर (यूपी), पश्चिमी बंगाल के दुर्गापुर, हल्दिया व विधाननगर को मात्र 2-2 करोड़ रूपये चार वर्षों में दिए गए।

स्मार्ट सिटी दिल्ली को कुल 2998.27 करोड़ रूपये में से मात्र 6.53 प्रतिशत राशि यानि 196 करोड़ रूपये ही मोदी सरकार ने चार वर्षों में दिए।

हरियाणा में स्मार्ट सिटी फरीदाबाद को कुल 2458.58 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट में 196 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार व 194 करोड़ रूपये राज्य सरकार ने दिए। स्मार्ट सिटी करनाल को कुल 1211 करोड़ की प्रोजेक्ट राशि में से 50 करोड़ रूपये केन्द्र व 53 करोड़ रूपये राज्य सरकार दे पाई।

पश्चिमी बंगाल के तीन शहरों विधान नगर, दुर्गापुर व हल्दिया को पिछले तीन वर्षों में एक रूपया भी मोदी सरकार ने नहीं दिया है।

बिहार के चार शहरों को मात्र 411 करोड़ रूपये मिले। पटना (बिहार) को 2497.80 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट के लिए मात्र 104 करोड़ रूपये मिले।

ठाणे (महाराष्ट्र) को 5404 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट के लिए मात्र 196 करोड़ रूपये मिले।

सूरत (गुजरात) व विशाखापट्टनम (आन्ध्रप्रदेश) को 291-291 करोड़ रूपये मिले।

अमृतसर व जालन्धर को 56-56 करोड़ तो लुधियाना को 196 करोड़ रूपये मिले।

मध्यप्रदेश के सात शहरों को 1319 करोड़ रूपये, महाराष्ट्र के 10 शहरों को 1572 करोड़ रूपये, राजस्थान के 6 शहरों को 1031 करोड़ रूपये, गुजरात के 6 शहरों को 962 करोड़ रूपये, आन्ध्रप्रदेश के चार शहरों को 877 करोड़ रूपये, चण्डीगढ़ को 196 करोड़ रूपये, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् को 196 करोड़ रूपये, हरियाणा के दो शहरों को 246 करोड़ रूपये, गुजरात के सूरत को कुल 2597 करोड़ के प्रोजेक्ट में से 291 करोड़ रूपये (8.92 प्रतिशत) की धनराशि प्राप्त हुई।

श्रीनगर को कुल 3816 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट में से मात्र 52 करोड़ रूपये मिले तो जम्मू को कुल 3459 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट में से मात्र 54 करोड़ केन्द्र सरकार ने दिए।

बैंगलूरू (कर्नाटका) को 1792 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट में से मात्र 53 करोड़ रूपये ही मिले।

आईजोल (मिजोरम) को 2052 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट में से मात्र 55 करोड़ रूपये मिले। इम्फाल (मणिपुर) को 1344 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट में से मात्र 111 करोड़ रूपये ही मिले। इसी प्रकार अरूणाचल प्रदेश के पासी घाट को 1484 करोड़ रूपये में से मात्र 54 करोड़ व ईटानगर को 1343 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट में से मात्र 52 करोड़ रूपये ही केन्द्र सरकार ने दिए।

देहरादून (उत्तराखंड) को 1407 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट में से मात्र 56 करोड़ रूपये ही मिले।
श्री शाहदेव ने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का यही हाल रहा तो मोदी जी का बहुप्रचारित स्मार्ट सिटी मिशन, तो अगले पचास साल में पूरा नही हो पाएगा। देश की जनता मोदी जी के इस वादा खिलाफी के लिए कभी माफ नहीं करेगी।

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