प्रयागराज कुंभ मेले में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अहम एलान कर दिया है. उन्होंने कहा है कि प्रयागराज के कुंभ मेले से 17 फरवरी को राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या कूच करेंगे. 17 फरवरी को दोपहर एक बजे हजारों साधु संतों व रामभक्तों के साथ वो अयोध्या कूच करेंगे. ये लोग 17 फरवरी को प्रतापगढ़ और 18 को सुल्तानपुर में रुकने के बाद 19 को अयोध्या पहुंचेंगे. इसके बाद 20 फरवरी को अयोध्या में सभा करेंगे. इस तरह शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर के लिए ईंट रखने पर अड़े हुए हैं.
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने 21 फरवरी को अयोध्या में शिलापूजन और मंदिर के शिलान्यास का एलान किया है. इन्होंने अपनी यात्रा को रामाग्रह यात्रा का नाम दिया है. शंकराचार्य स्वरूपानंद ने राम मंदिर निर्माण के लिए मौजूदा सरकार पर यकीन नहीं होने की बात कही है.
इससे पहले तीन दिन तक चली शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की बुलाई धर्म संसद जो 30 जनवरी को खत्म हुई थी, उसमें प्रस्ताव पास हुआ था कि 21 फरवरी से अयोध्या में राम मंदिर का काम शुरू हो जाएगा. धर्म संसद में नन्दा, जया, भद्रा, पूर्णा नाम की 4 शिलाएं शंकराचार्य को सौंपी गई थीं और जानकारी आई थी कि यही शिलाएं लेकर अयोध्या पहुंचने के लिए हिंदुओं से आह्वान किया गया है.
क्या है अयोध्या विवाद?
अयोध्या में जमीन विवाद बरसों से चला आ रहा है. अयोध्या विवाद हिंदू मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का बड़ा मुद्दा रहा है. अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर होने की मान्यता है. मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ. हिंदुओं का दावा है कि राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी.
90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन तीन हिस्सों में बांटी थी. राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा राम लला विराजमान को मिला.
राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला. जमीन का तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया गया. जमीन बांटने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी. अयोध्या में विवादित जमीन पर अभी राम लला की मूर्ति विराजमान है.