बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठी शिवसेना ने अब यू-टर्न लेती नजर आ रही है. सूत्रों के मुताबिक खबर मिल रही है कि अब दोनों ही पार्टियां लोकसभा और विधानसभा का चुनाव मिलकर साथ ही लड़ेंगी. सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी-25 और शिवसेना-23 सीटें पर लड़ेगी. वहीं विधानसभा चुनाव को लेकर मामला अभी अटका हुआ है क्योंकि शिवसेना मुख्यमंत्री का पद मांग रही है और बीजेपी ने आधे-आधे टर्म का प्रस्ताव दिया है.
हैरानी बात यह है कि कुछ दिन पहले तक बीजेपी जहां शिवसेना को हल्के में ले रही थी लेकिन ऐसा लग रहा है कि राजस्थान, और मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में हार के बाद बीजेपी को भी लग रहा है कि सहयोगी दलों को बनाए रखने में ही भलाई है. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन टूट गया था और बीजेपी ने वहां ज्यादा सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी. उसके बाद से दोनों ही दलों को बीच दूरी लगातार बढ़ती चली जा रही थी हालांकि केंद्र में शिवसेना भी एनडीए के साथ ही बनी रही.
लेकिन महाराष्ट्र में बीजेपी के बढ़ते जनाधार को देख शिवसेना ने अयोध्या के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में पैठ बनाने की कोशिश शुरू कर दी और पार्टी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से राम मंदिर के लिए कानून लाने की मांग कर दी. इसी बीच शिवसेना नेता अयोध्या भी पहुंच गए. दूसरी ओर राफेल मुद्दे पर शिवसेना पूरी तरह से कांग्रेस के साथ नजर आई और जितने तीखे वार कांग्रेस ने किए उससे कम शिवसेना ने भी किए.
आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी को 23 और शिवसेना को 18 सीटें मिली थीं वहीं विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिली थीं.