कुलभूषण जाधव केस में आज आमने-सामने होंगे भारत-पाकिस्तान

अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) द हेग में आज से कुलभूषण जाधव के मामले में सार्वजनिक सुनवाई करेगा, जिसमें भारत और पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश करेंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय विवादों को हल करने के लिए आईसीजे की स्थापना की गई थी ।

पाकिस्तानी सेना की अदालत ने अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर भारतीय नागरिक जाधव (48) को मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने इसके खिलाफ उसी साल मई में आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था।आईसीजे की 10 सदस्यीय पीठ ने 18 मई 2017 में पाकिस्तान को मामले में न्यायिक निर्णय आने तक जाधव को सजा देने से रोक दिया था।
आईसीजे ने हेग में 18 से 21 फरवरी तक मामले में सार्वजनिक सुनवाई का समय तय किया है और मामले में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले हरीश साल्वे के 18 फरवरी को पहले दलीलें पेश करने की संभावना है।

पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिवक्ता खावर कुरैशी 19 फरवरी को देश की ओर से दलीलें पेश करेंगे। इसके बाद भारत 20 फरवरी को इस पर जवाब देगा जबकि इस्लामाबाद 21 फरवरी को अपनी आखिरी दलीलें पेश करेगा। ऐसी उम्मीद है कि आईसीजे का फैसला 2019 की गर्मियों में आ सकता है। 

वहीं भारत कथित भारतीय जासूस की मौत की सजा को रद्द करने का पाकिस्तान को आदेश देने का अनुरोध करेगा। इससे, जम्मू कश्मीर में सुरक्षा कर्मियों पर हुए घातक हमले के बाद दोनों देशों के बीच फिर से तनाव बढ़ सकता है।

कुलभूषण सुधीर जाधव को मार्च 2016 में पाकिस्तन के अशांत प्रांत बलूचिस्तान से जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।

अंतरराष्ट्रीय अदालत ने 2017 में जाधव की मौत की सजा की तालीम पर तत्काल रोक का आदेश दिया था। तब से इस अहम भारतीय मामले की सुनवाई लंबित है।

जम्मू कश्मीर में बृहस्पतिवार को एक फिदायीन हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय अदालत में दो परमाणु हथियारों से लैस प्रतिद्वंद्वियों के बीच यह टकराव का एक और मसला हो सकता है। इस हमले में 40 सुरक्षा कर्मियों की जान गई है।

भारत के वकील सोमवार को अपनी दलीलें देंगे जिसके बाद मंगलवार को पाकिस्तान अपना पक्ष रखेगा। भारत ने कहा है कि अगर पाकिस्तान जाधव की मौत की सजा रद्द नहीं करता है तो इस्लामाबाद को अंतरराष्ट्रीय कानून एवं संधियों का उल्लंघन करने वाला करार देना चाहिए और भारतीय नागरिक को तुरंत रिहा करने का आदेश देना चाहिए।

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