News Agency :लोकसभा चुनाव के तहत 19 मई को आखिरी चरण के मतदान के बाद इसके परिणामों पर सभी की नजरें होंगी। वहीं राजनीतिक दल भी चुनाव परिणामों को लेकर तमाम संभावनाओं के हिसाब से अपनी-अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं। चुनावों को लेकर आ रहे अलग-अलग दावों के बीच खंडित जनादेश को लेकर भी चर्चा है और ऐसे में देश में किसकी सरकार बनेगी, इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। वहीं, कई ऐसे दल हैं जो ना एनडीए के साथ और ना ही यूपीए के साथ और उनमें से ही वाम दल हैं जो भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को सत्ता से दूर रखने के लिए किसी भी गैर-एनडीए गठजोड़ का समर्थन करने को तैयार हैं।वाम दल केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की जगह किसी भी वैकल्पिक गठबंधन को बाहर से समर्थन देने के लिए तैयार हैं। लेकिन वे ममता बनर्जी के ऐसे गठबंधन का हिस्सा बनने की संभावनाओं पर असमंजस की स्थिति में हैं। सीपीआई(एम) के सूत्रों के हवाले से एक नेता ने कहा, ‘हम वास्तव में नहीं जानते कि ऐसी स्थिति पैदा होने पर क्या करना चाहिए। तृणमूल का समर्थन करना हमारे लिए बंगाल में आत्मघाती साबित होगा। लेकिन भाजपा को सत्ता से बाहर रखना भी जरूरी है।2014 के लोकसभा चुनावों में 34 सीटें जीतने वाली टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में thirty four साल बाद वाम मोर्चा को सत्ता से बेदखल किया था। पिछले लोकसभा चुनाव में वाम दलों के 9 सांसद चुनकर आए थे। पश्चिम बंगाल में इनका मुख्य चुनावी नारा है- “बीजेपी को हराओ, तृणमूल को हराओ”।
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