बीजेपी के फायर ब्राण्ड नेता और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ का 2019 के चुनाव का आगाज़ उन्हीं के सूबे में ठीक से नहीं हो पा रहा है. अब तक हुये सभी कार्यक्रमों में उन्हें खाली कुर्सियों से ज़्यादा दो चार होना पड़ा है. ताज़ा खबर वाराणसी से है, जहां मंगलवार को नव मतदाता सम्मेलन में शिरकत करने के लिए योगी आदित्यनाथ पहुंचे थे. लेकिन इस दौरान सभागार में आधी कुर्सियां खाली दिखाई दीं. यही नहीं जो लोग मौजूद थे, उसमें युवाओं की जगह बीजेपी के बुजुर्ग कार्यकर्ता दिखे. सीएम योगी वाराणसी में मंगलवार को नव मतदाता सम्मेलन में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे. लेकिन इस दौरान सभागार में आधी कुर्सियां खाली दिखाई दीं. .एक हफ्ते के अंदर दूसरी बार हुआ जब वाराणसी में सीएम योगी आदित्यनाथ का फ्लॉप शो दिखाई पड़ा.
पिपलानी कटरा स्थित सरोजा पैलेज में गिनती के युवा सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम में पहुंचे थे. नतीजा ये हुआ कि जैसे-तैसे सभागार आधा भर पाया. जबकि आधी कुर्सियों से युवा गायब थे. ये देख कार्यक्रम के संयोजकों के पसीने छूटने लगे.सीएम के सामने बेइज्जती होते देख आनन-फानन में संयोजकों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को बुलाना शुरू किया. इसके बाद युवाओं की जगह बीजेपी के बुजुर्ग कार्यकर्ताओं ने ली. हालांकि, सभागार की तस्वीरें देख सीएम भी नाखुश दिखे. इसे लेकर सभागार में तरह-तरह की चर्चा चलती रही. वाराणसी को बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है. पीएम नरेंद्र मोदी खुद यहां से सांसद हैं. इसके बावजूद शहर के अंदर बीजेपी का हाल देख राजनीतिक जानकार भी हैरान हैं.
इसके पहले योगी मथुरा में सांसद हेमा मालिनी के नामांकन में गये थे वहां हुई जनसभा में भी कुर्सियां खाली थीं. जिसकी खबरे भी सुर्खियां बनी थीं , गाज़ियाबाद में भी यही हाल था गाज़ियाबाद के बाद 26 मार्च को वाराणसी में विजय संकल्प सभा हुई थी, उसमे भी आधी से ज़्यादा कुर्सियां खाली रह गई थीं. इस सभा में तो बीजेपी के कार्यकर्ता कुर्सी हटाते और रखते नज़र आये थे.
आखिर योगी की सभा में क्यों खाली रह जा रही हैं कुर्सियां इस पर राजनीति के जानकार अलग अलग नजरिये से देख रहे हैं एक नजरिया ये निकल कर आ रहा है कि योगी आदित्य नाथ हिन्दू युवा वाहिनी के फायर ब्रांड नेता थे जो अपने सीधे, तल्ख़ भाषा से विपक्षियों पर प्रहार करते थे जिसे उनके चाहने वाले पसंद करते थे लेकिन अब वो उत्तर प्रदेश के सीएम हैं लिहाजा वो उसकी मर्यादा में रह कर बोल रहे हैं इसलिये वो भीड़ खिंच कर नहीं आ रही है. ये बात इससे भी पुख्ता होती नज़र आती है कि जब यही योगी किसी दूसरे सूबे में अपनी हिंदुत्व वादी तीखे भाषणों को देते हैं तो वहां उनकी जनता जुटती है.
दूसरा नजरिया ये है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार मोदी लहर दिखाई नहीं दे रही है. आलम ये है कि बीजेपी के बड़े नेताओं को भी सुनने के लिए लोग नहीं पहुंच रहे हैं. ये बताता है कि इस चुनाव में जनता चुप है सिर्फ सभी पार्टियों के कार्यकर्ता ही नज़र आ रहे हैं और कार्यकर्ता कितनी सीटे भर पाएंगे सभी को पता है. अभी छोटे-छोटे हॉल और छोटी जन सभाओं में कुर्सियां खाली रह जा रहीं हैं तो आने वाले दिनों में बड़े मैदान कैसे भरेंगे ये नेताओं के लिए एक बड़ी चुनौती नज़र आ रही हैं.