अवैध गौ तस्करी पर कब लगेगी अंकुश, रात के अंधेरे में होती है गौ तस्करी

रिपोर्ट- अविनाश मंडल

पाकुड़: जिले का हिरणपुर मवेशी हाट, जहां वर्षों से पशुओं का कारोबार होता आ रहा है। पशुपालन विभाग कि माने तो 10 किलोमीटर के दायरे में यह कारोबार खरीद बिक्री का होना है, लेकिन स्थानीय दबंगई लोगों की मेहरबानी कहे या अवैध कमाई का जरिया। यह कारोबार हिरणपुर से बंगाल तक बेरोकटोक जारी है। 

शुत्रों कि माने तो बिहार के बांका जिले के धौरया से गौ को पिकअप में लादा जाता है, वैसे गौ को जिसे दूध नहीं देने पर सड़को पर छोड़ दिया जाता है, या वैसे पशु जो सड़को पर बेनाम भटकते रहती है, गोड्डा के रास्ते सिमलांग थाना होते हुए लिट्टीपाड़ा, हिरणपुर होते हुए तोड़ाई के रास्ते बंगाल ले जाया जाता है, जिसे बंगाल के हटिया में बेच दिया जाता है। इतना ही नहीं पैदल भी सड़क में तस्करों द्वारा ले जाया जाता है।

सूत्रों की माने तो इस धंधे में प्रति वाहन को मैनेज किया जाता है, इस कार्य में रात के एक बजे से पहले दो पहिया वाहन से रेकी किया जाता है, उसके बाद वाहन को पास किया जाता है। एक वाहन में तकरीबन सात पशुओं को लादा जाता है, जिसे बुरी तरीके से रस्सी से बांधा जाता है। 

अगर इस पर किसी हिन्दू संगठन के द्वारा रोका जाता है, या सूचना दी जाती है, तो उक्त संगठन पर या उनके सदस्यों पर झूठा प्राथमिकी दर्ज किया जाता है। इस धंधे में वर्दी धारी के साथ-साथ सफेद पोस का भी योगदान रहता है। पूरा कारोबार सेटिंग पर चलता है। जहां एक और सरकार सहित जिला प्रशासन अवैध कारोबार के रोकथाम हेतु कई निर्देश जारी करते है, लेकिन निर्देशों का पालन आखिर कैसे होगा जब रखवाला ही इस अवैध कारोबार में शामिल हो। बरहाल जो भी हो ऐसे मामलो पर पुलिस और जिला प्रशासन को शक्ति से जरूरत है कार्यवाही करने कि ताकि इस पर अंकुश लग पाए।

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