पूरी दुनिया ने 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले की कड़ी शब्दों में निंदा की थी। इस हमले के बाद एक बार फिर से भारत ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने की अपनी मांग को दोहराया था।
जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने भारत का साथ दिया था। अब इन देशों ने एक नए प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से जेईएम के मुखिया अजहर को प्रतिबंधित करने को कहा है। जिसके बाद से उसकी वैश्विक यात्रा पर प्रतिबंध लग जाएगा, संपत्ति जब्त हो जाएगी और हथियार रखने पर पांबदी लग जाएगी।
इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि अजहर को प्रतिबंधित करने के रास्ते में चीन रोड़ा अटका सकता है। चीन ने इससे पहले यूएनएससी में इस्लामिक स्टेट और अलकायदा प्रतिबंध समिति को 2016 और 2017 में जेईएम के मुखिया अजहर पर प्रतिबंध लगाने से रोक दिया था। हालांकि फिलहाल चीन की तरफ से इसपर कोई बयान नहीं आया है।
बुधवार को यह प्रस्ताव 15 राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के तीन स्थायी सदस्यों जिनके पास वीटों शक्ति हैं उन्होंने पेश किया। तीन सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए गए नए प्रस्ताव पर विचार करने के लिए सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति के पास 10 दिनों का समय होगा। पिछले 10 सालों में अजहर को अतंरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए चौथी बार प्रस्ताव लाया गया है।
2009 में भारत ने अजहर के खिलाफ एक प्रस्ताव दिया था। जिसके आतंकी संगठन ने 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है। इस आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। 2016 में एक बार फिर भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति के सामने अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव लेकर आए थे, जो जनवरी 2016 में हुए पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड था।
2017 में एक बार फिर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस इसी तरह का प्रस्ताव लेकर आए थे। हालांकि हर मौके पर संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य चीन ने इसपर वीटो का इस्तेमाल किया और भारत की कोशिशों में रोड़ा अटकाया। इस बार भी चीन का नजरिया देखने वाला होगा। यह बात छुपी नहीं है कि चीन पाकिस्तान का करीबी है।