इस बार लोकसभा चुनाव में विपक्ष चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की धुआंधार रैलियों और उनके इलेक्शन मैनेजमेंट से मुकाबला करने और उन्हें मात देने के लिए खास रणनीति पर काम कर रहा है। विपक्षी दलों के नेताओं का दावा है कि इस बार नरेंद्र मोदी को वॉकओवर नहीं दिया जाएगा, जैसा कि 2014 में कम से कम चुनाव प्रचार और रैलियों के दौरान दिया गया था।
दरअसल, हाल के बरसों में कई विश्लेषण से यह बात साबित हुई है कि चुनाव के अंत में जो दल संगठित होकर आक्रामक प्रचार करता है, उसका लाभ उसे मिलता है। चुनाव विश्लेषक अमिताभ तिवारी के अनुसार, अंतिम महीने के दौरान जो दल चुनाव प्रचार के दौरान अजेंडा सेट करता है, आखिरी वक्त में अपना वोट तय करने वाले उसके साथ हो जाते हैं। इसी चुनावी ट्रेंड को सेट कर 2014 आम चुनाव में नरेंद्र मोदी ने ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ की थीम को तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ अंतिम वक्त में सेट किया और जीते।
इस रणनीति के ठीक उलट पिछले साल दिसंबर में तीन राज्यों के चुनाव में कांग्रेस ने अंत में ‘किसानों की कर्ज माफी’ को बड़ा मुद्दा बताया और अजेंडा सेट करने में सफल रही। इन्हीं ट्रेंड और चुनावी इतिहास से सीख लेते हुए विपक्ष की मंशा है कि अंतिम समय में वह नैरेटिव सेट करने में मोदी पर भारी पड़े। अधिकतर विपक्षी दल मानते हैं कि कुछ समय तक बैकफुट पर रहने के बाद अंतिम एक महीने में एक बार फिर मोदी अजेंडा सेट करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें यहीं मात देने की दरकार है।
विपक्षी दल चुनाव प्रचार के दौरान इस बार पीएम मोदी को घेरने की एक खास रणनीति पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी आम चुनाव में 100 से अधिक रैलियां करेंगे। तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, मायावती सहित तमाम क्षेत्रीय नेताओं ने मोदी के चुनावी प्रचार के हिसाब से ही अपना काउंटर अभियान चलाने पर काम करने के संकेत दिए हैं। यानी जहां मोदी, वहीं विपक्षियों की रैलियां होंगी। विपक्षी दलों की मीटिंग में मौजूद एक नेता ने बताया कि जहां-जहां पीएम मोदी रैलियां करेंगे, वहां-वहां उन्हें कवर करने के लिए साझी रणनीति रहेगी। हालांकि, यह रणनीति क्या रहेगी, इस बारे में खुलासा नहीं किया गया है।
2014 आम चुनाव में नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ चुनाव प्रचार में इतिहास रचा था, बल्कि एक नया मानक भी सेट किया था। 15 सिंतबर 2013 को बीजेपी से पीएम पद का उम्मीदवार बनने के बाद मोदी ने कुल 437 रैलियां की थीं। उन्होंने 25 राज्यों का दौरा कर 3 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा की थी। भारत के इतिहास में किसी चुनाव में इस तरह का ऐतिहासिक चुनाव प्रचार किसी नेता ने नहीं किया था। मोदी ने 1350 रैलियां 3डी टेक्नॉलजी से की थीं। उन्होंने 100 से अधिक ‘चाय पर चर्चा’ की। दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 45 रैलियां ही कर पाए थे। इनमें से भी एक-तिहाई रैलियां कर्नाटक और नार्थ-ईस्ट में थीं।