विदर्भ से लगता हुआ मराठवाड़ा। किसानों के घरों में जितनी चीखें यहां गूंजी होंगी, उतनी शायद देश के किसी हिस्से में नहीं गूंजी होंगी। सरकार यहां मौत के बाद मुआवजा तो देती है, लेकिन वो तो अंतिम संस्कार में ही खर्च हो जाता है। परिवार को तो विरासत में कर्ज ही मिलता है। औरंगाबाद के पैठण इलाके में किसानों से जुड़े संगठन शेतकरी के नेता जयाजी सूर्यवंशी बोले- मराठवाड़ा के राजनीति विज्ञान को समझने से पहले यहां का गणित समझ लें। पूरे महाराष्ट्र में पिछले साढ़े चार साल में करीब…
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