किसानों की आत्महत्याओं का असली मुआवजा भाजपा से वसूलेगा मराठवाड़ा

विदर्भ से लगता हुआ मराठवाड़ा। किसानों के घरों में जितनी चीखें यहां गूंजी होंगी, उतनी शायद देश के किसी हिस्से में नहीं गूंजी होंगी। सरकार यहां मौत के बाद मुआवजा तो देती है, लेकिन वो तो अंतिम संस्कार में ही खर्च हो जाता है। परिवार को तो विरासत में कर्ज ही मिलता है।

औरंगाबाद के पैठण इलाके में किसानों से जुड़े संगठन शेतकरी के नेता जयाजी सूर्यवंशी बोले-  मराठवाड़ा के राजनीति विज्ञान को समझने से पहले यहां का गणित समझ लें। पूरे महाराष्ट्र में पिछले साढ़े चार साल में करीब 14 हजार किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। उनमें से 90% किसान मराठवाड़ा के इन आठ जिलों से ही थे। सरकार ने बड़ा धोखा किया है। दो साल पहले जब हमने मुंबई का दूध और सब्जी रोकी तो बात करने को तैयार हुई। मुख्यमंत्री ने तब 17-18 वादे किए थे। एक भी पूरा नहीं किया। जायकवाड़ी डेम बनाते समय जिन किसानों की जमीनें ली गईं, उन्हें भी पानी नहीं मिल रहा। जबकि यही पानी शराब इंडस्ट्री को मिल रहा है। इसलिए संगठन ने मिलकर तय किया है कि भाजपा-शिवसेना गठबंधन को वोट नहीं देंगे।

औरंगाबाद का क्रांति चौक ही था, जहां पिछले साल मराठा आरक्षण आंदोलन भड़का था। आंदोलन शुरू करने वाले रवींद्र काले अस्पताल में भर्ती हैं। बोले- सरकार ने हमें डरा-धमकाकर, लालच देकर आपस में ही बांट दिया।  आंदोलन रुका जरूर है, पर खत्म नहीं हुआ है। औरंगाबाद में शिवसेना ने चंद्रकांत खैरे को पांचवीं बार सांसद बनने का मौका दिया है। वहीं कांग्रेस ने सुभाष झामड़ को उतारा है। इसी विरोध में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और विधायक अब्दुल सत्तार निर्दलीय मैदान में उतर गए। एआईएमआईएम से विधायक इम्तियाज जलील भी मैदान में हैं जो मुस्लिम वोटों को काट रहे हैं।

बीड़ में पलायन बड़ी समस्या है। सामाजिक कार्यकर्ता ओम वंजारा कहते हैं- लोग पश्चिम महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश  में मजदूरी के लिए जा रहे हैं। शुगर मिलें एक-एक कर बंद हो रही हैं। बीड़ से भाजपा ने प्रीतम मुंडे (दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की बेटी) को दोबारा टिकट दिया है। उनका मुकाबला एनसीपी के बजरंग सोनेने से है। भाजपा को यहां अहमदनगर-बीड़-परली रेल योजना के काम का फायदा होगा। यह योजना 50 साल पुरानी है और 30 सालों से बंद थी। केंद्र व राज्य की भाजपा सरकारें अब इसे शुरू करने के लिए 2800 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

जालना में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब पाटिल दानवे 5वीं बार मैदान में हैं। कांग्रेस ने पिछली बार हार चुके विलास अवताड़े को ही टिकट दिया है। दूसरा चेहरा कांग्रेस के पास है भी नहीं। यहां दानवे की एकतरफा जीत का दावा किया जा रहा है। क्योंकि कांग्रेस-एनसीपी गुटबाजी में ही फंसी हैं।

उस्मानाबाद की बात करें तो यहां सांसद रवींद्र गायकवाड़ को जितनी चर्चा उनके काम से नहीं मिली, उससे ज्यादा चर्चा उन्हें एयर इंडिया वाले घटनाक्रम से मिली। रवींद्र शिवसेना के वही विधायक हैं, जो एयर इंडिया स्टाफ से मारपीट के कारण सुर्खियों में आए थे। शिवसेना ने इस बार उनका टिकट काट दिया है। ओमराज निंबालकर को प्रत्याशी बनाया है। एनसीपी ने निंबालकर के सामने विधायक राणा जगजीतसिंह को उतारा है। लोग बताते हैं कि दोनों प्रत्याशी चचेरे भाई हैं, गायकवाड़ का टिकट कटने से नाराज लोग राणा का साथ भी दे सकते हैं। राणा मजबूत साबित हो रहे हैं और शिवसेना दो गुटों में बंट गई है।

लातूर भीषण जलसंकट से जूझ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख का यह क्षेत्र अब विकास की पटरी से उतर गया है। भाजपा ने यहां मौजूदा सांसद सुनील गायकवाड़ का टिकट काट कर सुधाकर श्रुंगारे को दिया है। कांग्रेस ने मछलिंद्र कामत को प्रत्याशी बनाया है। यहां लिंगायत समाज निर्णायक है और वह भाजपा के साथ दिखता है। रेल कोच कारखाना लगाने का फायदा भी भाजपा को मिल रहा है। महाराष्ट्र के एक और बड़े नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण नांदेड़ से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि वे इस साल होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे और लोकसभा में अपनी पत्नी को उतारना चाहते थे, लेकिन आलाकमान ने उन्हें मना लिया। भाजपा ने यहां प्रताप पाटिल चिखलीकर को उतारा है जो शिवसेना विधायक हैं। पाटिल पहले कांग्रेस में थे, वे 2014 में शिवसेना में आए, दो सालों से भाजपा के साथ रहे इसलिए पार्टी जॉइन  करने से पहले उन्हें टिकट भी मिल गया।

परभणी व हिंगोली दोनों पिछड़े इलाके हैं। परभणी शिवसेना का गढ़ है, बीस सालों से उसका कब्जा है। अभी शिवसेना के संजय जाधव सांसद है, पार्टी ने उन्हें दोबारा खड़ा किया है। एनसीपी ने राजेश विटेकर का नया चेहरा उतारा है। मराठा और ओबीसी बाहुल्य सीट पर ओबीसी का झुकाव भाजपा के पक्ष में नजर आ रहा है। हिंगोली में कांग्रेस के राजीव सातव सांसद है। लेकिन वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वे गुजरात के प्रभारी भी हैं। शिवसेना ने पिछली बार हारे सुभाष वानखेड़े को दोबारा मौका नहीं देकर हेमंत पाटिल को प्रत्याशी बनाया तो कांग्रेस ने वानखेड़े को शिवसेना से तोड़ लिया और टिकट भी दे दिया। 

सबसे बड़ा फैक्टर :-

मुद्दे: किसान और पानी  :- किसानों की समस्याएं यहां सबसे विषम मुद्दा है। पीने का पानी खेतों में तो दूर, पीने तक के लिए नहीं है। खासकर, लातूर और हिंगोली में। यहां महिलाओं को दूर-दूर से पानी लाना पड़ रहा है। औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का मुद्दा गरम है। पिछले साल यहां तीन बार दंगे हो चुके हैं। 

जाति: मराठा ओबीसी : मराठवाड़ा का चुनाव मराठा बनाम ओबीसी के बीच है। शेतकरी संगठन सबसे प्रभावी है, उनके नेता राजू शेट्‌टी 2014 में एनडीए के साथ थे। किसान आंदोलन के बाद वे कांग्रेस का साथ दे रहे हैं। कांग्रेस-एनसीपी ने बदले में उनके लिए विदर्भ की हथकनगले सीट छोड़ी है।

2014 की स्थिति :-

सीटकौन जीता
औरंगाबादशिवसेना
बीड़भाजपा
जालनाभाजपा
लातूरभाजपा
परभणीशिवसेना
हिंगोलीकांग्रेस
नांदेड़कांग्रेस
उस्मानाबादशिवसेना

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