शराब से कमाई के लालच में लड़खड़ाई केजरीवाल सरकार

सिद्धार्थ शंकर गौतम “बैर कराते मंदिर-मस्जिद, मेल कराती मधुशाला” – कविवर स्व. हरिवंशराय बच्चन ने जब मधुशाला लिखी तो उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि एक समय ऐसा आयेगा जब मधुशाला राजनीति का अड्डा भी बन जायेगी। जी हाँ, भारत की राजधानी दिल्ली इन दिनों मधुशालाओं की राजनीति का गढ़ बन चुकी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के चलते दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी का सारा जोर अब दिल्ली में शराब की नदियाँ बहाने पर है। वर्ष 2001 से लेकर 2021 तक दिल्ली…

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