मोदी को हटाने के लिए दक्षिण का महत्वपूर्ण भूमिका होगा: शशि थरूर

South will play an important role to remove Modi: Shashi Tharoor

News Agency : कांग्रेस नेता शशि थरूर ने नरेंद्र मोदी सरकार पर दक्षिण भारत के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है। शशि थरूर ने कहा कि मौजूदा सरकार को सत्ता से बेदखल करने में दक्षिण के राज्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले ने संदेश दिया है कि केंद्र में कांग्रेस शासन के तहत दक्षिण राज्यों की चिंताओं और अकांक्षाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस पार्टी के लिए सभी वर्ग एक समान रूप से महत्वपूर्ण है।

शशि थरूर ने कहा है कि मुझे लगता है कि दक्षिण भारत देश की राजनीति के भाग्य को तय करने में निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। विशेष रूप से वर्तमान सत्तारूढ़ उखाड़ फेंकने का। क्योंकि इस सरकार में यह साफ नजर आता है कि दक्षिण भारत के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है। थरूर ने मौजूदा सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले पांच साल में सहकारी संघवाद की भावना पर व्यापक हमला हुआ है। जिसने आजादी के बाद से देश को एक साथ रखा है।

उन्होंने कहा कि यह कुछ हद तक गोमांस पर प्रतिबंध एवं हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के तौर पर थोपने के अभियान जैसे कुछ सांस्कृतिक कारकों से संबंधित है लेकिन कुछ बड़े मुद्दे भी हैं जैसे 15वें वित्त आयोग के संदर्भ की शर्तों को लेकर हो रहा हंगामा भी है जिसका दक्षिणी राज्यों की आर्थिक और राजनीतिक सुरक्षा पर असर होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से कांग्रेस ने राहुल गांधी के दक्षिण से चुनाव लड़ने के फैसले ने दक्षिण राज्यों में बहुत प्रभाव डाला है।

शशि थरूर ने कहा कि केरल के मेरे अनुभव मुझे बताते हैं कि यह संदेश सभी जगह पहुंचा हुआ है और यह साफ है कि दक्षिण राज्य वर्तमान सरकार के सबसे विश्वसनीय विकल्प के रूप में पूरी तरह से कांग्रेस के पक्ष में रहेगा। बता दें कि थरूर केरल की तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनाव मैदान मैं हैं। उन्होंने यह भी दावा किया चुनाव के बाद केंद्र में गठबंधन की सरकार होगी और यूपीए-3 बनने की संभावना है न कि एनडीए -3। उन्होंने कहा कि यह साफ है कि साल 2014 में बीजेपी को 282 सीटे हासिल हुई थी उसे अब दोहराना मुश्किल है। ऐसे में उनको क्षेत्रीय दलों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी लेकिन उसमें ज्यादातर साझेदार साथ देने के इच्छुक नहीं होंगे।

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