आलोक कौशिक, 12 मई को बिहार में लोकसभा चुनाव के छठे चरण का मतदान होना है। उस दिन राज्य की जिन आठ सीटों (वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, महाराजगंज, सिवान, गाेपालगंज, शिवहर व वैशाली) पर वोट पड़ेंगे, उनमें सिवान भी शामिल है। यहां दो बाहुबली नेताओं की बीवियां ताल ठोक रहीं हैं। खास बात यह कि इन दोनों की लड़ाई में एक चर्चा ‘भगवा बनाम बुर्के’ की चल पड़ी है। इसका आधार कुछ और नहीं, पहनावा है और इसे हवा मिली है जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रत्याशी कविता सिंह के पति अजय सिंह के बयानों के कारण।सीवान संसदीय सीट के इतिहास पर अगर गौर करें तो 1957 के चुनाव में सीवान सीट से कांग्रेस के झूलन सिंह विजयी रहे। इसके बाद 1962, 1967, 1971 और 1980 के चुनाव में कांग्रेस के मोहम्मद युसूफ यहां से चुनकर संसद गए। 1984 में कांग्रेस के मोहम्मद गफूर चुनाव जीतकर दिल्ली गए। 1989 के चुनाव में बीजेपी ने सीवान से अपना खाता खोला और जर्नादन तिवारी लोकसभा पहुंचे। 1991 में जनता दल के बृष्ण पटेल यहां से सांसद बने। 1996 के चुनाव में सीवान संसदीय सीट के इतिहास में शहाबुद्दीन की एंट्री हुई। जनता दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे बाहुबली शहाबुद्दीन ने बीजेपी के जर्नादन तिवारी को करारी शिकस्त दी। इसके बाद जब लालू यादव ने जनता दल से अलग होकर आरजेडी बनाई तो शहाबुद्दीन ने 1996, 1999 और 2004 का चुनाव आरजेडी के टिकट पर जीता। इसके बाद शहाबुद्दीन को तेजाब कांड में सजा हो गई और चुनाव लड़ने पर रोक लग गई। यहीं से सीवान सीट पर ओमप्रकाश यादव की किस्मत खुली। अगले दो चुनाव यानी 2009 में निर्दलीय और 2014 में बीजेपी के टिकट पर ओमप्रकाश यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब को हराकर चुनाव जीता।जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने बिहार के सीवान से दरौंदा विधायक कविता सिंह को लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। कविता सिंह दरौंदा की पूर्व दिवंगत विधायक जगमातो सिंह की बहू हैं। कविता के पति अजय सिंह बाहुबली माने जाते हैं और राष्ट्रीय हिंदू युवा वाहिनी अध्यक्ष हैं। अजय सिंह का नाम हत्या, लूट और अपहरण समेत लगभग thirty मामलों में आ चुका है। अजय सिंह के साथ कविता की शादी के पीछे एक दिलचस्प कहानी है।एक रिपोर्ट के मुताबिक मां जगमातों सिंह के निधन के बाद खाली हुई दरौंदा विधानसभा सीट अजय सिंह हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे इसलिए हिंदू रीति की परवाह किए बिना उन्होंने पितृपक्ष में अपनी शादी रचाई ताकी पत्नी को उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक अजय सिंह खुद चुनाव में इसलिए नहीं लड़ना चाहते थे क्योंकि उनके खिलाफ हत्या, लूट अपहरण के दो दर्जन से ज्यादा मामले चल रहे थे।अजय सिंह ने शादी के लिए एक इश्तेहार निकाला था जिसमें उनकी होने वाली पत्नी के लिए कुछ खूबियों का होना अनिवार्य बताया गया था। sixteen लड़कियों ने विज्ञापन देख अजय से शादी के लिए रजामंदी जताई थी। उन सभी लड़कियों का छपरा के एक पॉश होटल में इंटरव्यू हुआ था। विज्ञापन में कहा गया था कि दुल्हन का नाम वोटर लिस्ट में होना चाहिए और उसके पास वोटर कार्ड जरूर होना चाहिए। विज्ञापन में कहा गया था कि लड़की की उम्र कम से कम twenty वर्ष होनी चाहिए और राजनीतिक पृष्ठभूमि की लड़की को तरजीह दी जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक अजय सिंह के दोस्त देवेंद्र ने बताया था कि दो भावी दुल्हनों को शॉर्ट लिस्ट किया गया था, जिनमें से ग्रााम प्रधान मां की बेटी कविता का चयन कर लिया गया था। उस वक्त कविता जेपी विश्वविद्यालय में परास्नातक की छात्रा थीं, जबकि अजय सिंह सिर्फ आठवीं पास। जिस वक्त उनकी अजय सिंह से शादी हुई, वह twenty five वर्ष की थीं। उनकी शादी सीवान पुलिस थाने के अंतर्गत महेंद्र नाथ मंदिर में संपन्न हुई थी।शादी के बाद कविता ने कहा था, ”अगर मुझे अवसर मिलता है तो मैं अपनी सास जगमातो देवी का सपना पूरा करने की कोशिश करूंगी।” अजय और कविता की शादी गुप्त तरीके से हुई थी जिसमें सिर्फ चुनिंदा मेहमान ही बुलाए गए थे। सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के कट्टर प्रतिद्वंदी अजय को शादी के वक्त पटना हाई कोर्ट से मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मिली थी।अजय ने कहा था कि अचानक शादी के लिए उनके निर्णय के पीछ उनके गुरु की सलाह है। उन्होंने कहा था, ”बिहार के राजा बोले कि शादी कर लो तो टिकट दे देंगे। उन्होंने कहा था कि सबकुछ राजा के निर्देश पर हुआ है। अजय सिंह की मां जगमातो देवी ने 2005 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। तब वह रघुनाथपुर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीती थीं। उन्होंने अपराधी अयूब खान के पिता कमरुद्दीन को हराया था। 2010 में जगमातो देवी ने दरौंदा से चुनाव लड़ा। अजय के पिता मलेश्वर सिंह की जान राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में चली गई थी। 2004 में शहाबुद्दीन के शार्प शूटर रियाजुद्दीन की हत्या और सीवान में उसके साथी की हत्या के बाद अजय सिंह कुख्यात हो गए थे। रियाजुद्दीन की हत्या तब की गई थी जब वह नंदमोरा गांव में अजय पर हमला करने आया था। इससे पहले उसने आरजेडी कार्यकर्ता बबलू यादव की हत्या कर दी थी। बीते दिनों सीवान में अजय सिंह खासे सक्रिय रहे। माना जा रहा था कि अगर सीवान सीट जेडीयू के खाते में गई तो अजय सिंह इसके उम्मीदवार होंगे लेकिन सीट परिवार में गई। जदयू प्रत्याशी कविता सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास कार्यों के आधार पर वोट मांग रही हैं। शिक्षक पिता और ग्राम प्रधान माँ की बेटी विधायक कविता सिंह कहती हैं, “राजनीति हमें विरासत में मिली है. हमने जनता के बीच रहकर हर प्रकार से उनकी सेवा की है इसलिए मुझे लोगों से पूरा आशीर्वाद मिलने की उम्मीद है।” सिवान में अपराध के मुद्दे पर कविता सिंह का कहना है, “जिन लोगों के कारनामों से डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की भूमि सिवान रक्तरंजित हुई उन्हें जनता बार- बार ठुकरा चुकी है।”जदयू की प्रत्याशी कविता सिंह पार्टी लाइन से हटकर तीन तलाक़ के मुद्दे का समर्थन करती हैं और मानती हैं कि इससे मुस्लिम महिलाओं का सशक्तिकरण होगा। सिवान के निवर्तमान सांसद और भाजपा नेता ओमप्रकाश यादव की सीट पर चुनाव लड़ने वाली कविता सिंह का दावा है कि वह प्रधानमंत्री के नारों पर अमल करते हुए इस क्षेत्र में उन कार्यों को आगे बढ़ाएंगी जो अधूरे रह गए हैं। लेकिन यहां कविता सिंह की राह आसान नहीं दिख रही हैं। सिवान में राजग में आंतरिक कलह की बात भी सामने आ रही है। वर्तमान भाजपा सांसद ओमप्रकाश यादव और भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज सिंह के बीच तनाव जग-जाहिर है। उधर, आेम प्रकाश यादव के समर्थक सिवान सीट जदयू के खाते में जाने से नाराज हैं। ओम प्रकाश यादव के समर्थक अंतिम समय में कविता सिंह का खेल बिगाड़ सकते हैं। कविता सिंह के पति के विवादित बयान भी परेशानी के सबब हैं। कुछ ब्राह्मणों पर की गई टिप्पणी से इस तबके में भी नाराजगी है। हालांकि, उन्होंने माफी मांग ली है। सीवान के ब्राह्मण समाज के कुछ संगठन और बीजेपी के ब्राह्मण नेता जेडीयू प्रत्याशी कविता सिंह का विरोध कर रहे हैं। इनका आरोप है कि कविता सिंह के पति और हिंदू युवा वाहिनी के नेता अजय सिंह ने ब्राह्मणों का अपमान किया है। अजय सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सीवान के अधिकतर ब्राह्मण एनडीए के साथ हैं। इसके साथ ही भड़काऊ बयान देते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि कुछ ब्राह्मण शहाबुद्दीन को जनेऊ बेच दिए हैं, मुगलों की चरणों में जनेऊ को रखना कहां का न्याय है। अजय सिंह के इस बयान के बाद ब्राह्मण समाज के नेताओं और कुछ संगठनों ने जेडीयू प्रत्याशी कविता सिंह का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। राजद की हिना शहाब दो बार से लोकसभा चुनाव में पराजित हो रहीं हैं। उनकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा पति मो. शहाबुद्दीन की आपराधिक छवि है। विरोधी अपने चुनाव प्रचार में शहाबुद्दीन के दौर के सिवान का जिक्र करना नहीं भूल रहे हैं। हालांकि, हिना शहाब अपने पति को विकास पुरुष बता रही हैं।भोजपुरी भाषी सिवान के ग्रामीण मतदाताओं का दिल जीतने के लिए हिना उन्हीं की ज़ुबान में उनसे बात करती हैं और खुद को उनकी बेटी-बहन बताती हैं। वे कहती हैं कि “मैं सामान्य गृहिणी थी। राजनीति में आने का कभी विचार नहीं था, लेकिन शहाबुद्दीन के जेल जाने और क़ानूनी चुनौतियों से उत्पन्न परिस्थिति में मुझे सार्वजनिक जीवन में आने का फैसला करना पड़ा। राजद के स्थानीय कार्यकर्ताओं के दबाव और लालू यादव के समर्थन से मेरी उम्मीदवारी तय हो गयी। हालाँकि, शहाबुद्दीन यह कभी नहीं चाहते थे कि परिवार का कोई शख्स चुनाव लडे़।” साल 2009 में पहली बार चुनाव लड़ने वाली हिना शहाब ने स्वीकार किया कि शुरू में उन्हें काफी घबराहट होती थी। सही मायने वो 2014 में समाज सेवा में पूरी तरह आयीं। बिहार में राजद के पंद्रह साल के शासन में राजनीति के अपराधीकरण के सवाल पर हिना शहाब कहती हैं, “यह आरोप सीधे-सीधे हमारे परिवार पर आता है। जब लालू यादव की सरकार बनी थी तब कहा जाता था कि बिहार में जंगलराज है। आज केंद्र और कई राज्यों में एनडीए की सरकार है, लेकिन आए दिन हत्याएं हो रही हैं, भ्रष्टाचार चरम पर है।”हिना पलटकर सवाल करती हैं कि क्या आज समाज अपराधमुक्त हो गया है? महागठबंधन की प्रत्याशी के नाते हिना शहाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ कुछ भी कहने से परहेज करती हैं। वो कहती हैं, “मैं एक महिला हूँ। सम्मानित प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बहुत बड़े लोग हैं।” हालाँकि, वो नीतीश कुमार के बारे में कहती हैं, “जब माननीय प्रधानमंत्री का सीएम के डीएनए में खोट वाला बयान आया था तो नीतीश कुमार ने कहा था कि वो कभी भाजपा के साथ नहीं जायेंगे। लेकिन, जब उनको लगा कि सृजन घोटाला उजागर होने वाला है तब वो भाजपा के साथ चले गए। उनके इस आचरण को कैसे जायज ठहराएंगे।” तीन तलाक़ के मुद्दे पर हिना शहाब शरियत और मुस्लिम पर्सनल लॉ की दुहाई देकर तीन तलाक़ संबंधी अध्यादेश का विरोध करती हैं। हिना सिवान संसदीय क्षेत्र में सभी वर्ग के बच्चों और बच्चियों के लिए निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने और पार्टी लाइन पर आरक्षण लागू करवाना चाहती हैं।सिवान की जनता कविता और हिना के दावों पर कितना विश्वास करती है यह चुनाव परिणाम ही तय करेगा। बता दें कि लोकसभा चुनाव के इतिहास में अब तक सीवान में half-dozen बार कांग्रेस, तीन बार राष्ट्रीय जनता दल, दो बार भारतीय जनता पार्टी, दो बार जनता दल, one बार भारतीय लोकदल और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार जीता है। वर्तमान में बीजेपी के ओम प्रकाश यादव यहां से सांसद हैं और इससे पहले 2009 से 2014 तक वह निर्दलीय सांसद रहे थे। सिवान जिले के कुल मतदाता : 2399242महिला मतदाता : 1145908पुरुष मतदाता : 1253334थर्ड जेंडर : 83नए मतदाता : 46833 सिवान में किसके सर ताज सजेगा, इसकी घोषणा भले ही twenty three मई को मतगणना के बाद हो, जनता फैसला तो twelve मई को वोटिंग में ही कर देगी।
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