निरसा में बच्चे पढ़ना-लिखना छोड़, पानी ढो रहे हैं

Children are reading, writing, writing water

संजय सिन्हा, धनबाद/निरसा : प्रचंड गर्मी के कारण ताल तलैया सूख चूके हैं। बच्चे सुबह होते ही पानी की तालाश में पढ़ाई-लिखाई छोड़कर प्रतिदिन घर से निकल पड़ते है। चापानलों का साथ कब का छूटा है। जिंदा रहना है तो पानी चाहिए। इसके लिए लोग अपना सब कुछ दांव पर लगा रहे है। प्रचंड गर्मी के कारण मैथन व पंचेत डैम का जलस्तर घटने लगा है। जिले में जलसंकट लगातार गहराता जा रहा है, जलस्त्रोतों का पानी भी सूखता जा रहा है। धनबाद जिले के निरसा प्रखंड में स्थित दो प्रमुख डैमों मैथन व पंचेत की स्थिति ठीक नहीं है। नौकरी, व्यवहारिका अज्ञेर जिंदगी, तीनों मुसीबत में है। डयूटी (काम) में देर हुई तो डांट, पड़ोसी से एक बाल्टी पानी के लिए बकझक और खदान मे किस्मत ने दगा दिया तो भगवान ही मालिक। कमोबेश यही हाल निरसा प्रखंड की करीब sixty eight पंचायतों का है। जिसमें 267 गांव है। दो लाख sixty one हजार 789 की आबादी के सामने पेयजल की घोर किल्लत को देखते हुए जिला प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नही उठाया है। केवल कागजी खानापूर्ति ही हुआ है। मैथन डैम व पंचेत डैम से धनबाद के लोगों की प्यास नहीं बुझ रही है। मैथन डैम से प्रतिदिन seventy five लाख गैलन पानी की सप्लाई किये जाने बावजूद पानी की डिमांड बढ़ रही है। डैम के घटते जलस्तर के कारण अधिकारियों को चिंता सताने लगी है। पानी की समस्या को देखते हुए अब ग्रामीणों ने आंदोलन करने का मन बना लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन अपने वादे से मुकर जाता है, इसे बर्दाशत नहीं किया जाएगा। लोग रात भर जग कर अलग-अलग स्थानों पर लगे चापाकलों से पानी ढोकर या ग्रामीणों द्वारा भाड़ा पर मंगवाकर पानी टैंकर से पानी ढोकर काम चला रहे है। मुहल्ले के लोग बताते हैं कि पीने के पानी की व्यवस्था तो किसी तरह अब तक कर रहे हैं, किंतु स्नान व कपड़ा धोने का कार्य दो-तीन दिन गैप कर करना पड़ रहा है। मैथन व पंचेत डैम का जल स्तर तेजी से घट रहा है। बचे पानी से बिजली बनाएं या लाखों लोगों की प्यास बुझाएं। धनबाद शहर व आस-पास के इलाकों को मैथन डैम से ही पानी मिलता है। कहा जा रहा है कि यदि स्थिति यही रही तो कोयलांचल में जलसंकट व बिजली संकट उत्पन्न हो सकता है। ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुखिया तो पानी के लिए सरकार से मिले फंड का जमकर दुरूप्रयोग कर रहे है।

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