साहब! तनी गरीबों पर ध्यान दे दा,पानी के लिए मचा हाहाकार

बेंगाबाद के फिटकोरिया पंचायत के गुठिया गांव हरिजन टोला में पानी के लिए दर-दर भटक रहे लोग…

अर्ध रात्रि से ही पानी के लिए लोगों को कुआं में लाइन लगानी पड़ती है…

प्रशासन के स्तर से पेयजल संकट को दूर करने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है…

शुभम सौरभ 

गिरिडीह,विशेष प्रतिनिधि। जिले के बेंगाबाद की गुठिया गांव के हरिजन टोला और मोहनिया पहरी आदिवासी गांव में पानी के लिए हाहाकार मच गया है। अर्ध रात्रि से ही पानी के लिए लोगों को कुआं में लाइन लगानी पड़ती है। बावजूद पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाता है जिससे ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। स्थानी निवासी सोनू तुरी, कुल्ली तुरी, कमलेश ईश्वर, बच्चन बजरंगी, मोहन बुनेष, धनेश जगदीश, झगर आदि का कहना है कि हम हरिजन टोला में कुआं चापाकल आदि नहीं रहने से पानी के लिए एक किलोमीटर की दूरी से पानी लाने पड़ता है। इस बीच, प्रशासन के स्तर से पेयजल संकट को दूर करने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है। बताया जाता है कि जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है।  चापाकल से पानी निकलना बंद हो गया है। लोगों को घर से दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है। घरेलू काम के लिए भी यह पानी कम पड़ जा रहा है। इस हालत में मवेशियों को भी पानी उपलब्ध कराना गंभीर समस्या हो गई है। गुठिया गांव निवासी मोहम्मद अयूब ने बताया कि प्रचंड गर्मी के कारण चापाकल सूखते जा रहे हैं।

नल जल योजना से लाभ नहीं

पेयजल संकट के बीच सबसे महत्वाकांक्षी योजना ‘हर घर नल  जल’ योजना भी किसी काम की नहीं रही। बेंगाबाद प्रखंड के कई गांव में नल जल योजना ठप पड़ा हुआ है। सरकार की करोड़ों रुपये खर्च वाली ये योजना पेयजल उपलब्ध कराने के बजाए शोभा की वस्तु बन कर रह गई है। ग्रामीण अयुब ने बताया कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से गांवों के हर घर तक पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य था, पर संवेदक द्वारा कार्य में अनियमितता बरतते हुए आधे अधूरे छोड़ गए हैं। इसकी जानकारी विभाग को कई बार दी गई लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला है।

क्या कहते हैं पंचायत समिति सदस्य एवं कनीय अभियंता

 इधर इस संबंध में स्थानीय पंचायत समिति सदस्य मो. मिनसर ने बताया है कि विभाग को इस पर यथाशीघ्र पहल करनी चाहिए। वहीं कनीय अभियंता मणिकांत का कहना है कि मेरे संज्ञान में समस्या आ चुकी है यथाशीघ्र पहल करने के लिए अथक प्रयास करेंगे।

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