राजनीतिक संवाददाता द्वारा
रांची. राजधानी रांची में उपद्रवियों के पोस्टर लगाने और फिर उतारने को लेकर बहस तेज हो गई है. बहस के केंद्र में राजभवन और सरकार हैं. बहस राज्यपाल के द्वारा आदेश और सलाह देने को लेकर हो रही है. इधर सत्ताधरी दल ने निशाना साधते हुए कहा कि राजनीतिक एजेंडा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
बता दें कि मंगलवार की शाम राजधानी रांची के चौक-चौराहों पर जितनी तेजी के साथ उपद्रवियों के फोटोयुक्त पोस्टर लगे, उतनी ही तेजी के साथ उतर भी गए. पोस्टर के लगने और उतरने को लेकर सियासी गलियारों में बहस तेज हो गई है. बहस इस बात को लेकर हो रही है किसत्ताधरी दल जेएमएम ने इस मामले में अपना स्टैंड साफ कर दिया है. जेएमएम केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय का साफ शब्दों में कहना है कि राज्यपाल को अधिकार का बोध वे नहीं करा सकते और न ही राज्य सरकार को उनके अधिकार क्षेत्र का वे बोध कराना चाहते हैं. सिर्फ इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि कुछ ऐसा न करें, जिससे समाज में विद्वेष की भावना फैलती हो. जो घटना घटी, इसमें चाहे किसी जाति, धर्म या समुदाय से जुड़ा व्यक्ति शामिल हो, उस पर करवाई होनी चाहिए.
झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस के तेवर भी तल्ख नजर आ रहे हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर इस बात को लेकर गुस्से में हैं कि राज्य में चुनी हुई सरकार है और चुनी हुई सरकार को राज्यपाल सलाह दे सकते हैं, न कि कोई आदेश. राज्यपाल का आदेश एक राजनीतिक एजेंडा प्रतीत हो रहा है और सबको पता है कि ये एजेंडा बीजेपी का है. घटना में शामिल लोगों की लगातार गिरफ्तारी हो रही है. कांग्रेस का ये कहना है कि जल्दबाजी का काम शैतान का होता है इंसान का नहीं.
राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने राज्यपाल के आदेश और सलाह की बहस से दूर हेमंत सोरेन सरकार की विफलता पर बात कर रही है. बीजेपी के प्रदेश मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू का स्पष्ट तौर पर मानना है कि ये घटना पूर्वनियोजित साजिश का हिस्सा है. राज्य सरकार का तमाम खुफिया तंत्र इस मामले में फेल साबित हुआ है. राज्य की हेमंत सोरेन सरकार मामले की लीपापोती में लगी हुई है. उपद्रवियों की देर से गिरफ्तारी, उपद्रवियों के पोस्टर लगाना और फिर उतार देना, ये साबित करता है कि राज्य सरकार आखिर क्या करना चाहती है.
बता दें कि रांची मेन रोड हिंसा मामले में अब तक दो दर्जन से अधिक प्राथमिकियां दर्ज हो चुकी हैं. दो दर्जन से अधिक उपद्रवियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है और अब भी 6 थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू है. पुलिस बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. शायद यही वजह है कि पोस्टर लगाने के औचित्य पर सत्ताधरी दल के अंदर से सवाल उठ रहे हैं.