प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीतिक में कदम रखने और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनने के बाद से कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता जोश में भरे नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के किसी भी नेता ने हाल के दिनों पार्टी का दामन नहीं छोड़ा है. जबकि सपा, बसपा और बीजेपी नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है और नेताओं का राजनीतिक ठिकाना कांग्रेस बन रही है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में आए हुए करीब ढाई महीने होने जा रहे हैं. इस बीच प्रियंका गांधी तीन बार सूबे का दौरा कर चुकी हैं और चौथी बार आगामी तीन अप्रैल को जा सकती हैं. प्रियंका अपने दौरे के जरिए सूबे में वैंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस में जान डालने का काम कर रही हैं.प्रियंका गांधी के आने के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के किसी भी नेता ने पार्टी को अलविदा नहीं कहा है. जबकि सपा, बसपा और बीजेपी नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है. हालांकि कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद को लेकर खबरें आई थीं कि वो कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी में जा सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
सूबे में सबसे ज्यादा सपा और बसपा नेताओं ने पार्टी छोड़ी हैं. खासकर सपा-बसपा के उन नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़ी है, जिन्हें पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया है. फतेहपुर से सपा पूर्व सांसद राकेश सचान, पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल, बसपा की पूर्व सांसद कौसर जहां, पूर्व विधायक जसमीर अंसारी, पूर्व सांसद कुवंर सर्वराज सिंह, पूर्व विधायक ओमवती देवी जाटव और बसपा के यह तीन पूर्व विधायक डॉक्टर धर्मपाल सिंह, सूरज पाल सिंह और भगवान सिंह कुशवाहा सहित कई प्रमुख नेताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है.
सपा-बसपा ही नहीं बल्कि बीजेपी के मौजूदा विधायक और सांसद ने भी अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. इनमें बहराइच सीट से सांसद सावित्रीबाई फुले, इटावा से सांसद अशोक दोहरे और विधायक अवतार सिंह भड़ाना ने बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थामा है. कांग्रेस ने दोनों बीजेपी सांसद को अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा इलाहाबाद से बीजेपी के सांसद श्याम चरण गुप्ता और हरदोई से बीजेपी सांसद अंशुल वर्मा पार्टी को अलविदा कह कर सपा में शामिल हुए हैं.
हालांकि जो बीजेपी नेता पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हुए हैं. इनमें से ज्यादातर नेताओं के टिकट पार्टी ने काट दिए हैं. माना जा रहा है कि इसी के चलते इन नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी को अलविदा कहा है. लेकिन, कांग्रेस के किसी नेता ने प्रियंका गांधी के राजनीति में आने के बाद पार्टी नहीं छोड़ी है. इसका नतीजा है कि प्रदेश की कई लोकसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है. इतना ही नहीं कई सीटों पर कांग्रेस सीधी लड़ाई में दिख रही है.