गोवा में मंगलवार आधी रात गजब सियासी ट्विस्ट आया। बीजेपी सरकार में सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के तीन में से दो विधायक अपनी पार्टी के नेता और सरकार में डेप्युटी सीएम सुदिन धवलीकर को अकेला छोड़ बीजेपी के पाले में आ खड़े हुए। यही नहीं, इन दोनों विधायकों ने स्पीकर के सामने बीजेपी में विलय की अर्जी भी दे डाली है। गोवा सरकार में इस नाटकीय घटनाक्रम से अब सवाल यह है कि डेप्युटी सीएम धवलीकर का क्या होगा? MGP के दोनों विधायकों मनोहर अजगांवकर और दीपक पवास्कर ने गोवा विधानसभा के स्पीकर को पत्र सौंपकर कहा है कि उन्होंने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी का बीजेपी में विलय का फैसला किया है। 36 सदस्यों वाले सदन में बीजेपी के पास अब 14 को संख्याबल हो गया है।
बता दें कि इस नाटकीय घटनाक्रम से पहले गोवा सरकार की स्थिरता के लिए MGP के तीन विधायकों का समर्थन बहुत जरूरी था। गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार को 20 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इनमें बीजेपी के 11, MGP और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के तीन-तीन और तीन निर्दलीय विधायक शामिल हैं। कांग्रेस के 14 और एनसीपी के एक विधायक ने इस सरकार के खिलाफ वोट दिया था।
महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के विधायकों मनोहर अजगांवकर और दीपक पवास्कर ने मंगलवार देर रात 1: 45 पर स्पीकर माइकल लोबो को विलय का पत्र सौंपा। हालांकि, पार्टी के तीसरे विधायक सुदिन धवलीकर ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। दल-बदल विरोधी कानून के तहत कम से कम दो तिहाई विधायक अगर एक साथ पार्टी छोड़ते हैं, तभी उन्हें एक पृथक दल के रूप में मान्यता दी जा सकती है और पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की विधानसभा सदस्यता भी बरकरार रह सकती है।
पवास्कर ने दावा किया है कि उन्हें और प्रमोद सावंत सरकार में मंत्री पद दिया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुधवार को धवलीकर को कैबिनेट से बाहर किया जा सकता है।
40 सदस्यीय विधानसभा में 4 सीटें खाली होने के कारण विधायकों की संख्या मौजूदा समय में 36 है। आधी रात बाद हुए इस घटनाक्रम से बीजेपी के विधायकों की संख्या 12 से बढ़कर 14 हो गई है। अब बीजेपी के विधायकों की संख्या कांग्रेस के बराबर हो गई है। बता दें कि MGP 2012 से ही बीजेपी की सहयोगी पार्टी रही है।