झारखंड में कांग्रेस ने नहीं जुड़ना चाहते लोग !

राजनीतिक संवाददाता द्वारा
रांची: मिशन 2024 को लेकर देशभर में कांग्रेस संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत और धारदार बनाने की कोशिश की जा रही है। इसी उद्देश्य से झारखंड में भी प्रदेश नेतृत्व की ओर से राज्य में 15 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन सिर्फ 4.5 लाख ही सदस्य बन पाए। इस तरह से पूरे देश में कांग्रेस पार्टी के बने करीब पौने तीन करोड़ सदस्य में झारखंड की भूमिका सिर्फ 2 लाख 20 हजार सदस्यों की ही रही। डिजिटल सदस्यता अभियान का लक्ष्य 10 लाख रखा गया, लेकिन इसके जरिए भी सिर्फ 2.20 लाख ही सदस्य बन पाए। इस लक्ष्य को भी पूरा करने में भी पार्टी कोटे से सरकार में शामिल मंत्रियों और विधायकों की ही महत्वपूर्ण भूमिका रही, जबकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी पदाधिकारी और अन्य नेता-कार्यकर्त्ताओं की भूमिका नगण्य रही। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के गृह जिले में सिर्फ 644 सदस्य ही डिजिटल माध्यम से बनाये जा सके।
झारखंड में 1 नवंबर 2021 से विशेष सदस्यता अभियान की शुरुआत हुई और 15 लाख नये सदस्य बनाये जाने का लक्ष्य रखा गया, इसके लिए 31 मार्च 2022 तक का समय निर्धारित रखा गया, परंतु लक्ष्य से काफी पीछे रहने पर 15 अप्रैल 2022 तक इस तिथि को बढ़ा दिया गया। सदस्यता अभियान को गति देने के लिए एआईसीसी की ओर से जनवरी महीने में प्रकाश जोशी को पीआरओ और दो एपीआरओ की नियुक्ति की गयी। लेकिन इसके बावजूद निर्धारित लक्ष्य से कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी कोसो दूर रहे। सिर्फ 35 से 40 प्रतिशत लक्ष्य की ही प्राप्ति हो सकी। इसका प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि पार्टी के सबसे बड़े कार्यक्रम सदस्यता अभियान को लेकर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और उनकी टीम ने कोई उत्साह नहीं दिखा और ना ही इसे महत्व दिया गया।
इधर, डिजिटल सदस्य भी सिर्फ 2.20 लाख ही बनाये जा सके। इसमें सबसे बड़ा योगदान कृषि मंत्री बादल का 35 हजार, विधायक प्रदीप यादव का 29 हजार, दीपिका पांडेय का 22153, मंत्री रामेश्वर उरांव का 5694, आलमगीर आलम का 4096 और बन्ना गुप्ता का 13427 रहा। इस तरह देखा जाए, तो विधायकों ने 85 प्रतिशत से ज्यादा डिटिजल मेंबरशिप किया और संगठन फिसड्डी साबित हुआ। फिलहाल डिजिटल सदस्यता अभियान का ही आधिकारिक आंकड़ा जारी किया गया, जबकि मैनुअल सदस्यता अभियान का आधिकारिक आंकड़ा अभी जारी किया जाना बाकी है

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