News Agency : कर्नाटक में सियासी नाटक का आखिरकार लंबे समय के बाद अंत हो गया। कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन वाली एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिर गई। हालांकि, राजनीति के जानकारों की मानें तो कुमारस्वामी की सरकार की उल्टी गिनती पहले दिन से ही शुरू हो गई थी। वैसे कर्नाटक का राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें, तो इसमें कुछ भी नया नहीं है। कर्नाटक में सियासी उठापटक का दौर शुरुआत से रहा है। यही वजह रही है कि यहां भाजपा और जेडीएस के मुख्यमंत्री कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। कर्नाटक में सिर्फ कांग्रेस पार्टी भाग्यशाली रही है, जिसके तीन मुख्यमंत्रियों ने अपना कार्यकाल पूरा किया है। इसके अलावा किसी भी पार्टी का मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया।कर्नाटक में पिछले कई दिनों से चल रहा ड्रामा आखिरकार खत्म हो गया और बहुमत परीक्षण में fourteen माह पुरानी कुमार स्वामी सरकार गिर गई। गठबंधन सरकार के पक्ष में जहां ninety nine वोट पड़े और सरकार के विपक्ष में a hundred and five वोट पड़े। बसपा के विधायक ने विश्वास मत प्रस्ताव में हिस्सा नहीं लिया। वहीं भाजपा के एक विधायक भी इस मौके पर अनुपस्थित थे। विधायकों के इस्तीफे से शुरू हुआ राजनीतिक ड्रामा आखिरकार सरकार के गिरने से पहुंच गया। बहुमत खाने के बाद कुमारस्वामी ने अपना इस्तीफा राज्यपाल वजुभाई वाला को सौंप दिया है।इससे पहले कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें, तो एस निजलिंगप्पा (1962-68), डी देवराजा उर्स (1972-77) और सिद्धारमैया (2013-2018) ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है। बता दें कि यह तीनों ही कांग्रेस के नेता हैं। भाजपा, जेडीएस या किसी अन्य पार्टी का कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। पहली बार भाजपा नीत गठबंधन सरकार में कुमारस्वामी दो साल से भी कम समय तक फरवरी, 2006 से अक्टूबर 2007 तक मुख्यमंत्री रहे थे। उनका सत्ता साझेदारी को लेकर भाजपा से मतभेद हो गया और उन्होंने राज्य में भगवा पार्टी नीत सरकार का समर्थन करने से इनकार कर दिया।
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