News Agency : केन्द्र में एनडीए की सरकार बनती है, तो- प्रधानमंत्री कौन? जवाब है- नरेन्द्र मोदी! लेकिन, ज्यों-ज्यों गठबंधन सरकार की संभावना जोर पकड़ रही है, त्यों-त्यों मोदी के विकल्प की भी चर्चाएं फिर से शुरू हो गई हैं! जब किसी को कल्पना भी नहीं थी कि पीएम पद के लिए मोदी के अलावा किसी और का नाम भी सामने आ सकता है, यदि बीजेपी एकल बहुमत, 272 सीटें, हांसिल नहीं कर पाती है, तो ऐसा भी हो सकता है कि सहयोगी दल मोदी के नाम पर राजी नहीं हों और राजनाथ सिंह जैसे किसी बड़े नेता पर सहमति बने? इसके बाद बतौर मोदी के विकल्प नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह आदि के नाम चर्चाओं में छाए रहे हैं! हालांकि, ये दोनों नेता ऐसी संभावनाओं को नकारते रहे हैं, लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है? खैर, अब जदयू नेता गुलाम रसूल बलियावी ने बड़ा बयान दिया है, उनका कहना है कि- बिहार में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर नहीं, बल्कि हमारे नेता नीतीश कुमार के चेहरे पर वोट मिल रहा है. खबर है कि… उनका कहना है कि अगर एनडीए को सरकार बनानी है तो नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना होगा, तभी एनडीए की सरकार बनेगी? बलियावी के इस बयान के बाद देश की राजनीति में सियासी धमाका हो गया है. जहां, इस बयान से नाराज बीजेपी नेता बलियावी पर पलटवार कर रहे हैं है, वहीं महागठबंधन के नेता व्यंग्यबाण चला रहे हैं! हालांकि, जदयू ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया है, किन्तु जो बात सामने आनी थी, वह तो आ ही चुकी है कि यदि पीएम मोदी के नाम पर सहमति नहीं बनती है तो नीतीश कुमार के नाम पर भी विचार किया जा सकता है? प्रेस रिपोर्ट्स पर भरोसा करें तो बलियावी का कहना है कि- बिहार में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के चेहरे और काम पर वोट मिल रहा है. इतना ही नहीं, उनका तो यह भी कहना है कि twenty three मई के बाद एनडीए को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सकता है और अगर एनडीए को सरकार बनानी है तो नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना होगा, तभी एनडीए की सरकार बनेगी? उधर, गुलाम रसूल बालीयावी के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने व्यंग्यबाण चलाए कि- अब भाजपा ही बताए कि उनके गठबंधन में कौन प्रधानमंत्री पद का चेहरा है? खबर है कि… मांझी का कहना है कि नरेंद्र मोदी की थाली छिनने वाले अब प्रधानमंत्री पद की कुर्सी पर कब्जा करना चाहते हैं? नीतीश कुमार ने जानबूझ कर बलियावी से ऐसा बयान दिलवाया है! यही नहीं, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि पीएम मोदी के अभिन्न मित्र ने अपने एमएलसी के माध्यम से एनडीए की हार स्वीकार कर ली है? जोड़-तोड़ में महारत के कारण नीतीश कुमार ने अपने लिए पीएम की कुर्सी मांगी है, लेकिन लोग उन्हें समझ रहे हैं, इनकी दाल नहीं गलने वाली! सियासी सयानों का मानना है कि यदि पीएम मोदी लोकसभा चुनाव में अपेक्षित कामयाबी नहीं दर्ज करवा पाते हैं, तो सहयोगी दलों के कुछ नेता ही नहीं, भाजपा के भीतर भी कुछ नेता नैतिकता के आधार पर मोदी पर पीएम पद छोड़ने के लिए दबाव बना सकते हैं?
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