दिल्ली व्यूरो
दिल्ली :बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान को सीधे तौर पर खारिज कर दिया। सीएम नीतीश कुमार ने गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कोई इतिहास कैसे बदल सकता है?” अमित शाह ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि इतिहासकारों ने अन्य गौरवशाली भारतीय साम्राज्यों की अनदेखी की और इतिहास में मुगलों को अधिक प्रमुखता दी।
पत्रकार कूमी कपूर ने इंडियन एक्सप्रेस के अपने कॉलम इनसाइड ट्रैक में लिखा है: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लगातार बीजेपी की नीति का विरोधाभास एक सोची-समझी रणनीति है। नीतीश का संदेश स्पष्ट है- भाजपा अपने गठबंधन सहयोगी को हाशिए पर ले जाने की कोशिश कर सकती है। जब भाजपा के दो मंत्रियों ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात करनी चाही तो उन्होंने व्यस्त होने का हवाला दिया और कहा कि सिर्फ अमित शाह के स्तर पर वह बात करेंगे।
नीतीश कुमार जानते हैं कि नंबर उनके पक्ष में हैं। सियासी गलियारे में एक चर्चा यह भी है कि नीतीश तेजस्वी यादव के साथ एक समझौता करने की तरफ देख सकते हैं, जिसके तहत नीतीश 2024 के चुनाव तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे, जिसके बाद वह लालू प्रसाद के बेटे के लिए रास्ता बनाने के लिए सीएम की कुर्सी छोड़ देंगे।
इन दिनों, बिहार में जदयू और भाजपा के बीच, खींचतान जारी है। अग्निपथ योजना को लेकर प्रदर्शनकारियों ने भाजपा विधायकों और पार्टी दफ्तरों को निशाना बनाया तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने इसको लेकर जदयू पर निशाना साधा।
इतिहास को ‘युक्तिसंगत’ बनाने के नाम पर “इतिहास को फिर से लिखने” के भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की कोशिश पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एनडीए के सहयोगी जदयू ने कहा कि इतिहास इतिहास है और इसे पलटा नहीं किया जा सकता है। जदयू ने एनडीए समन्वय समिति का भी आह्वान किया ताकि महत्वपूर्ण नीतिगत मामलों पर सहयोगी दलों के बीच मतभेद की स्थिति न पैदा हो। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए केसी त्यागी ने कहा, “जो घटनाएं घटित हो गईं, अच्छी या बुरी, उन्हें पलटा नहीं जा सकता है।