जमशेदपुर पश्चिमी के भाजपा विधायक व राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने फिलहाल कदम पीछे खींच लिए हैं। उन्होंने साफ किया है कि वे मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देने जा रहे। लेकिन राजनीतिक हलकों में यह सवाल पूछे जाने लगे हैं कि क्या मुख्यमंत्री रघुवर दास से बनी सरयू की दूरियां पट पाएंगी। इसकी वजहें भी हैं। आइए, नजर डालते हैं सरयू राय के बीते महीने के कई ट्विट पर जिसमें उन्होंने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सीधे सरकार और मुखिया पर तंज कसें है।
सरयू राय तब से सुर्खियों में है जब उन्होंने बयान दिया कि वे झारखंड कैबिनेट में शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। समय-समय पर इस या उस बहाने सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले सरयू इस बयान से पहले ही संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी से तौबा कर चुके थे। लेकिन शर्मिदगी वाले बयान को आरपार की लड़ाई का ऐलान माना गया। बहुतेरे सवालों के बीच सरयू ने लेटर बम फोड़ा। कहा कि वे प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष को न केवल मौखिक बल्कि पत्र के माध्यम से भी सरकार की स्थिति से अवगत कराते रहे हैं। इसी कड़ी में जमशेदपुर के एग्रीको में भाजपा का कोल्हान प्रमंडल शक्ति केंद्र सम्मेलन हुआ जिसमें सरयू शामिल तो हुए, पर मुख्यमंत्री के पहुंचने की सूचना पहुंचते ही वहां से चलते बने। यह फरवरी की 11 तारीख का बाकया है। उसके चौथे दिन 15 फरवरी को सरयू राय ने दो ट्विट किए। पहले में उन्होंने लिखा- मीट राम लाल जी इन बीजेपी ऑपिफस । जस्ट रिटर्न फ्रॉम देयर। ही अंडरस्टैंडस अस वेल। उसी दिन राय ने दूसरे ट्विट में लिखा- हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। भरोसा है सूरते हालात बदलेंगे। समय का तकाजा है। उसके तीन दिन बाद 18 फरवरी को सरयू का ट्विट भी ध्यान खींचने वाला रहा- सुना रहा है ये समां, सुनी-सुनी सी दास्तां।
इसी बीच बकोरिया कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 23 फरवरी को आया। तब सरयू का ट्विट गौरतलब रहा। उन्होंने लिखा कि सरकार ने कैबिनेट के भीतर और बाहर मेरा सुझाव नहीं माना। बकोरिया कांड की सीबीआइ जांच रुकवाने सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से जगहंसाई हुई। नीयत पर सवाल उठे। बदनामी हुई। किसी नादान सलाह थी यह ? कौन जिम्मेदारी लेगा ? किसे, क्यों भय है सीबीआई ? कौन बचनाए बचाना चाहता है अपराध से ?
24फरवरी को हैदराबाद से तुलना कर सरयू ने चिकोटी काटी। लिखा- हैदराबाद में हूं। यहां की अधोसंरचनाएं बेहतर हैं। सरकार का सालाना बजट दो लाख करोड़ से अधिक है। झारखंड का 80 हजार करोड़। यहां लोकसभा की 17 सीटें हैं, हमारी 14। यहां शासन का सिस्टम काम करता है। हमारा ढीला- ढाला है। हमारी संसाधन समृद्ध्ि कम नहीं है, पर विकास धीमा है। अंत पट सकता है पर ठंढा दिमाग से।
फरवरी बीता और मार्च की पहली तारीख को सरयू ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद बताया कि वे पिफलहाल इस्तीफा नहीं देने जा रहे। इसकी वजह उन्होंने भाजपा अध्यक्ष और राष्ट्रीय महामंत्री से बातचीत और उसकी सलाह बताई। उन्होंने यह भी खुलाया किया झारखंड के लोकसभा प्रभारी सह बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय छह मार्च के बाद झारखंड आएंगे और उनके द्वारा उठाए गए मसलों पर गौर करेंगे। हालांकि, कदम पीछे खींचते हुए भी सरयू ने सरकार की घेराबंदी से परहेज नहीं किया। बकौल सरयू- राज्यपाल को राज्य के आइएएस अफसरों और सरकार के क्रियाकलापों की जानकारी दी। कई फाइलों की कॉपी भी दी और निर्णय लेने की मांग की। सरयू ने कहा कि उनके पास 100 से अधिक साक्ष्य हैं, जिसमें अधिकारियों ने गलत निर्णय लिया है। राज्यपाल मांगेगी तो वे सारे साक्ष्य उपलब्ध करा देंगे।