आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने वाली है. ऐसे में यात्रा से जुड़े सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं. साथ ही रथ यात्रा के लिए सुरक्षा से जुड़े कड़े इंतजाम भी किए गए हैं. हिंदूओं के लिए यह रथ यात्रा धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है. भगवान जगन्नाथ जी की मुख्य लीला भूमि उड़ीसा की पुरी है जिसको पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है. उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ,बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ की अर्धनिर्मित मूर्तियां स्थापित हैं, जिनका निर्माण राजा इन्द्रद्युम्न ने कराया था. भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार जनसामान्य के बीच जाते हैं, इसलिए इसका इतना ज्यादा महत्व है.
भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है. रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं.
भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तक जनसामान्य के बीच रहते हैं.
इसी समय मे उनकी पूजा करना और प्रार्थना करना विशेष फलदायी होता है.
इस बार भगवान की रथयात्रा 04 जुलाई से आरम्भ होगी.
इसी समय मे भगवान की रथ यात्रा मे शामिल हों, साथ ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें.
अगर आप मुख्य रथयात्रा में भाग नहीं ले सकते तो किसी भी रथ यात्रा में भाग ले सकते हैं .
अगर यह भी सम्भव नहीं है तो घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें, उन्हें भोग लगायें और उनके मन्त्रों का जाप करें.
भगवान जगन्नाथ की पूजा कैसे करें-संतान प्राप्ति का प्रयोग-
पति पत्नी पीले वस्त्र धारण करके भगवान जगन्नाथ की पूजा करें.
भगवान जगन्नाथ को मालपुए का भोग लगायें.
इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें और संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें.
एक ही मालपुए के दो हिस्से करें , आधा आधा पति पत्नी खाएं.