News Agency : उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल एसकेएमसीएच में एईएस व चमकी बुखार से मर रहे बच्चों को लेकर आज मंगलवार के दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व अन्य के विरुद्ध मुजफ्फरपुर कोर्ट के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया है. यह परिवाद अधिवक्ता पंकज कुमार ने दाखिल किया है.इसमें राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार, बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) के प्रबंध निदेशक संजय कुमार सिंह, जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष, सिविल सर्जन डॉ.शैलेश प्रसाद सिंह व एसकेएमसीएच अधीक्षक डॉ.सुनील कुमार शाही को आरोपित बनाया है.परिवाद में आरोप लगाया गया है कि सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की जाने वाली दवाएँ केंद्रीय व राज्य प्रयोगशालाओं से जांच रिपोर्ट मिले बिना ही मरीजों को दी जाती है. सरकारी अस्पतालों में जेनेटिक दवाओं की आपूर्ति की जाती है. इसकी पोटेंसी सामान्यत: छह माह होती है. जबकि, इसका उपयोग एक से दो साल तक किया जाता है.सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी में बीएमएसआइसीएल के लोक सूचना पदाधिकारी ने बताया है कि प्रबंध निदेशक की ओर से दवा की गुणवत्ता की जांच निजी जांच प्रयोगशाला में कराई जाती है. आरोप लगाया गया है कि यह आम लोगों के जीवन के लिए हानिकारक हैं.आपको बता दें कि बिहार में चमकी बुखार का कहर जारी है. अब तक इस बीमारी से 100 से अधिक बच्चों की मौत हो गई है. सभी का मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में इलाज चल रहा था.
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