News Agency : अनपॉलिश्ड माने जाने वाले सुपर मार्केट के महंगे और पैकेज्ड ब्राउन राइस हकीकत में सफेद हो सकते हैं और काफी पॉलिश किए हुए भी। इसके अलावा, कथित तौर पर ‘डायबीटिक फ्रेंडली’ यानी शुगर के मरीजों के लिए बेहतर कहे जाने वाली वराइटी भी आधा उबले हुए चावल हैं। मद्रास डायबीटिक रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) के फूड साइंटिस्टों ने सुपर मार्केट के fifteen तरह के ‘हेल्दी’ चावलों का टेस्ट किया। टेस्ट के नतीजे चौंकाने वाले थे। ज्यादातर मामलों में पैकेट पर जिन दावों का जिक्र किया गया, वे हकीकत से कोसों दूर पाए गए। MDRF की फूड ऐंड न्यूट्रिशन रिसर्च साइंटिस्ट सुधा वासुदेवन हाल ही में ‘जर्नल ऑफ डायबीटॉलजी’ में प्रकाशित एक स्टडी की सह-लेखिका हैं। उन्होंने बताया, ‘हमारे पास काफी संख्या में डायबीटिक मरीज चावल की नई वराइटीज के साथ आ रहे थे, जिनके बारे में जीरो कोलेस्ट्रॉल और शुगरफ्री होने का दावा किया जा रहा था। ऐसे में हमने फैसला किया कि ऐसे लोकप्रिय चावलों में से fifteen की जांच की जाए।स्टडी की एक और को-ऑथर MDRF की फूड साइंटिस्ट शोभना शनमुगम ने बताया, ‘जांच में चावल को आधा उबला हुआ ब्राउन राइस पाया गया।’ ये चावल अनपॉलिश्ड नहीं थे। आधे उबले होने की वजह से उनका कलर ब्राउन था। पकाते वक्त ये चावल और ज्यादा पानी सोखते हैं, जिससे उनमें स्टार्च का स्तर बढ़ता है। नतीजतन GI का स्तर भी बढ़ जाता है। वासुदेवन कहती हैं कि यह समझने की जरूरत है कि सभी ब्राउन राइस में कम GI होता है, जरूरी नहीं है। उन्होंने बताया, ‘एक गलत धारणा है कि हाथ से कूटे गए चावल हेल्दी होते हैं, लेकिन जांच में पता चला कि इनमें भी करीब पॉलिश्ड वाइट राइस जितना ही GI है।’ वासुदेवन ने बताया कि ब्रान में काफी फैट होता है और इसे पकाना थोड़ा कठिन होता है। यही वजह है कि भारतीय इन्हें देर तक पकाते हैं। ब्राउन राइस में काफी पानी डाल देते हैं, जिसकी वजह से ब्रान लेयर टूट जाता है। MDRF की सलाह है कि ब्राउन राइस को पकाते वक्त चावल और पानी का अनुपात 1:3 के बजाय 1:1.5 रखना चाहिए।
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