जानिए कामिका एकादशी व्रत का महत्व

जानिए कामिका एकादशी व्रत का महत्व

News Agency : श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी में भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा की जाती है। जिनके हाथ में शंख, चक्र, गदा, पद्म सुशोभित हो। शास्त्रों में कामिका एकादशी के बारे में कहा गया है कि जो मनुष्य भक्ति भाव पूर्ण इस एकादशी का व्रत रखकर चतुर्भुज भगवान की पूजा करता है उसे वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान-दान का जो पुण्य प्राप्त होता है वह कामिका एकादशी को करने से मिल जाता है। इस एकादशी के फलस्परूप व्यक्ति पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूर्ण कृपा बरसती है और उसके जीवन के सारे संकटों का नाश हो जाता है। इसके पुण्य फल से मनुष्य सुख-संपत्ति का स्वामी बनता है। इस वर्ष श्रावण कृष्ण एकादशी, कामिका एकादशी 28 जुलाई रविवार को आ रही है।कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से जीवन में संयम और आध्यात्मिकता का विकास होता है। इस एकादशी का व्रत रखने से सुख, सौभाग्य, संपत्ति, भूमि, रत्न, आभूषणों की प्राप्ति होती है। जो फल युक्त बछड़ा दान करने से मिलता है, वह फल इस एकादशी के व्रत से मिल जाता है। इस एकादशी के दिन तुलसी पूजा का बड़ा महत्व है। रत्नाभूषण भेंट करने से भी अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। कामिका एकादशी मोक्ष प्रदाता है। व्यक्ति की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती और ना ही उसे नरक के दुख भोगना पड़ते हैं। कामिका एकादशी व्रत करने से एकादशी के दिन तक किए गए पापों का क्षय हो जाता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के समीप घी का दीपक प्रज्जवलित करने से मोक्ष मिलता है और स्वर्ग में उच्च पद हासिल होता है। व्रत करने वाले को कामिका एकादशी व्रत की कथा अवश्य सुनना चाहिए। कथा सुने बगैर व्रत अधूरा रहता है। कामिका एकादशी की रात्रि में दीपदान करने का भी महत्व है। इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

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