गोमो।आज पुरा देश आजादी के अमृत महोत्सव पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने में जुटा है। वहीं दूसरी ओर, रामगढ़ जिला के दोहाकातु गाँव में विलुप्त प्राय आदिम जनजाति बिरहोर की अपनी पाठशाला सजधजकर तैयार हो रही है। पीवीटीजी पाठशाला के माध्यम से बिरहोर समुदाय की विलुप्त हो रही भाषा को संरक्षित करने का अनूठा कार्यक्रम करम फाउंडेशन, राँची द्वारा चलाया जा रहा हैI करम फाउंडेशन का उद्देश्य झारखंड की विशिष्ट कला संस्कृति को समृद्ध बनाना, ग्रामीणों को सामाजिक, आर्थिक,शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक रुप से सशक्त बनाना है। पीवीटीजी पाठशाला के सफल संचालन में करम फाउंडेशन संस्था के अरुण कुमार महतो, पप्पू टोप्पो, राजीव प्रजापति, राजेश कुमार, जलेश्वर महतो की महत्वपूर्ण भूमिका है। दीवारों पर सुंदर चित्रों को उकेरने कार्य सुप्रसिद्ध चित्रकार संजय करमाली एवं उनके सहयोगी कार्तिक कुमार द्वारा की गई है।बिरहोर-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश द्वारा संकलित भित्तिचित्र यह भित्तिचित्र देश-विदेश में चर्चित लेखक देव कुमार द्वारा रचित बिरहोर-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश द्वारा संकलित किया जा रहा है। लेखक सह करम फाउंडेशन, राँची के सचिव ने बताया कि पीवीटीजी पाठशाला खोलने का उद्देश्य समाज के बच्चों को सुंदर चित्रों के माध्यम से नि:शुल्क खेल-खेल में बिरहोरी भाषा का ज्ञान देना है एवं उनकी संस्कृति को बचाना है I सामान्य बोल-चाल की भाषा में प्रयुक्त होने वाली शब्दों की चित्रमय प्रस्तुति के साथ हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा में रुपांतरण भी किया गया है। नई पीढ़ी को बिरहोरी भाषा की जानकारी नहीं है तथा यह भाषा तेजी से लुप्त होती जा रही है। यूनेस्को द्वारा भी बिरहोरी भाषा को गंभीर खतरे की भाषा में शामिल किया गया है। अतः भित्तिचित्र के माध्यम से बिरहोरी भाषा का संरक्षण आसानी से किया जा सकता है।देश-विदेश के चर्चित विद्वान कर चुके हैं शब्दकोश की सराहनाबिरहोर-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश अनपढ लोगों से लेकर भाषाविद्वानों हेतु समान रूप से उपयोगी है। यह शब्दकोश की समीक्षोपरांत सराहना देश-विदेश के चर्चित विद्वान यथा डाँ0 नेत्रा पी0 पौडयाल ,शोध विद्वान, कील विश्वविद्यालय, जर्मनी, प्रो0 मोहन के0 गौतम ,कुलपति, यूरोपियन यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट एंड ईस्ट, नीदरलैंड, विनय तिवारी , सुप्रसिद्ध खोरठा गीतकार, प्रो दिनेश कुमार दिनमणि,सहायक प्राध्यापक, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची, प्रो वीरेंद्र कुमार महतो, सहायक प्राध्यापक, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची, दीपक सवाल सुप्रसिद्ध लेखक व संवाददाता द्वारा की गई है।
nazru gomo