News Agency : जनता दल यूनाइटेड (JDU) भले ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ है। लेकिन जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सियासी दुश्मन ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से साथ खड़े हो गए हैं। प्रशांत के इस कदम से बिहार में सियासत गर्म हो गई है।चुनावी रणनीतिकार व जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का चुनाव मैनेजमेंट संभाल लिया है। वे वहां विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की जरत के लिए रणनीति बनाएंगे। वहां ममता की तृणमूल कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से है।बीजेपी ने पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी को सत्ता से बाहर करने का संकल्प लिया है। ऐसे में जब प्रशांत किशोर का ममता बनर्जी के चुनावी मैनेजमेंट को संभालना तरह-तरह के कयासों को जन्म दे रहा है। इससे बिहार में बीजेपी की स्थिति असहज बन गई है।प्रशांत किशोर की पार्टी (जेडीयू) बिहार में बीजेपी की सहयोगी है। वे पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बाद नंबर दो की हैसियत रखते हैं। ऐसे में बिहार में सियासत गर्म हो गई है। बीजेपी के नेता इस बाबत बोलने से फिलहाल परहेज कर रहे हैं। हालांकि, पहले वे इस मुद्दे पर एतराज जता चुके हैं। बीजेपी के महासचिव एवं पश्चिम बंगाल के पार्टी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने हाल ही में ममता बनर्जी को मिले प्रशांत किशोर के साथ पर कहा था कि प्रशांत जिस यूनिवर्सिटी में पढ़े हैं, वहां के कुलपति बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह हैं। प्रशांत किशोर कभी बीजेपी की पसंद हुआ करते थे। 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव के अलावा 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी की जीत के लिए रणनीति बनाई थी। अगले साल उन्होंने बिहार में महागठबंधन और खासकर जेडीयू के लिए काम किया। 2017 में कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में उनकी रणनीति सफल नहीं रही, लेकिन 2019 में आंध्र प्रदेश में जगनमोहन के लिए उनकी रणनीति सफल रही। प्रशांत किशोर का जन्म बिहार के बक्सर जिले में हुआ। उनके पिता चिकित्सक थे। हाल ही में उनका निधन हुआ है। प्रशांत बिहार में शुरुआती पढ़ाई के बाद इंजीनियरिंग करने हैदराबाद चले गए। पढ़ाई के बाद उन्होंने यूनिसेफ ज्वाइन किया, जहां उन्होंने ब्रांडिंग की जिम्मेदारी संभाली।साल 2011 में भारत वापस लौटकर प्रशांत गुजरात के चर्चित ‘वाइब्रैंट गुजरात’ आयोजन से जुड़े। वहां उनकी मुलाकात गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई। प्रशांत किशोर से प्रभावित नरेंद्र मोदी ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी दी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली भारी जीत का श्रेय प्रशांत किशोर को दिया गया।प्रशांत किशोर बाद में बीजेपी से निराश होकर बिहार लौटे, जहां उनकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नजदीकी बढ़ी। इसके बाद उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए काम किया।
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