भाजपा के जाल में फंसी जदयू

बिहार NDA में सीटों का बंटवारा तय हो गया है। रविवार को पटना में प्रेस को संभोधित करते हुए जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी वाल्मीकिनगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, सिवान, भागलपुर,बांका, मुंगेर, नालंदा, काराकाट, जहानाबाद और गया से चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा दरभंगा, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सासाराम, सारण, आरा, बक्सर, औरंगाबाद, शिवहर, उजियारपुर और महराजगंज की सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। लोकसभा सीटों की सूची देखें तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भाजपा जदयू को 2014 में हारी हुई सीटें ज्यादा दी है। 

भाजपा 2014 में सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, भागलपुर, बांका, मुंगेर और नालंदा की सीट हार गई थी जबकि सीतामढ़ी, काराकाट और जहानाबाद पर भाजपा की सहयोगी रही RLSP ने चुनाव जीता था। वाल्मीकिनगर, गोपालगंज, सिवान और झंझारपुर ऐसी सीट है जिसे भाजपा ने 2014 में जीता तो था पर गठबंधन की मजबूरी में यह सीट उसे जदयू के लिए छोड़नी पर रही है। साथ ही साथ आपको यह भी समझना होगा कि भाजपा ने जो सीटें जदयू को दी है इनमें ज्यादातर सीमांचल क्षेत्र की हैं। इस क्षेत्र में भाजपा कमजोर है।

2014 के मोदी लहर के बावजूद भी भाजपा को सीमांचल में काभी नुकसान हुआ था। ऐसे में बात यह भी कही जा रही है कि बाजपा ने सीमांचल में जदयू को ज्यादा सीट देकर एक बड़ा दांव खेला है। जानकार यह भी बताते है कि यह वही क्षेत्र है जहां विधानसभा चुनाव में भाजपा को ध्रुवीकरण का कार्ड चलना पड़ा था। ध्रुवीकरण के बावजूद भी यहां भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। बिहार के सीमांचल क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी काफी है। फिलहाल सीमांचल में भाजपा को अररिया में अपना उम्मीदवार उतारना है।

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