नीतीश का बयान JDU-BJP लड़ेगा बिहार विस चुनाव

नीतीश का बयान JDU-BJP लड़ेगा बिहार विस चुनाव

News Agency : जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की एजेंसी से जदयू का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने संकेत दिया कि पीके की एजेंसी किस राज्य में किस पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाती है, इससे भी पार्टी को कोई मतलब नहीं है। मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी के बाद पीके को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि ममता बनर्जी की जीत के लिए चुनावी रणनीति बनाने के मुददे पर जदयू के दूसरी कतार के नेता परस्पर विरोधी बयान दे रहे थे। राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी की नजर में यह पीके के पेशे का मामला है, जबकि संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का कहना था कि पीके कहीं रहें, जदयू की सेहत पर फर्क नहीं पड़ता है। दूसरी ओर नीतीश ने यह भी कहा कि बिहार में एनडीए एकजुट है और विधानसभा का चुनाव जदयू और भाजपा एक साथ मिलकर लड़ेंगे। असल में चार दिन पहले ममता बनर्जी और पीके के बीच चुनावी रणनीति पर हुई चर्चा के बाद ही जदयू में पीके की भूमिका को लेकर विवाद शुरू हो गया था। आशंका यह जाहिर की जा रही थी कि भाजपा पश्चिम बंगाल में गंभीरता से चुनाव लड़ रही है। ऐसे में जदयू के उपाध्यक्ष भाजपा के विरोध में रणनीति बनाएं तो बड़े सहयोगी दल की क्या प्रतिक्रिया होगी। कहीं भाजपा इसका बुरा तो नहीं मान जाएगी?जदयू सदस्यता अभियान के शुभारंभ के दौरान मुख्यमंत्री ने भाजपा की नाराजगी की आशंका को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा- भाजपा की ओर से पीके को लेकर कोई आपत्ति नहीं आई है। पीके की संस्था ने आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी काम किया था, लेकिन उस पर कभी चर्चा नहीं हुई। रविवार को जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में हो रही है। उसमें पीके भी आमंत्रित हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पीके अपने इरादे के बारे में खुद बताएंगे। हम उनके बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। कयास लगाया जा रहा है कि कार्यकारिणी की बैठक में अगर पीके आए तो इस प्रकरण पर अपनी राय रखेंगे। पीके के पक्ष में यह बात जाती है कि आइपैक एक पेशेवर एजेंसी है। इससे ढेर सारे लोग जुड़े हुए हैं। उनकी रोजी-रोटी का भी सवाल है। दलीय प्रतिबद्धता के नाम पर वे एजेंसी का काम नहीं बंद कर सकते हैं। अधिक से अधिक यह हो सकता है कि वे उन दलों के लिए काम न करें, जिससे जदयू का हित प्रभावित हो सके। केसी त्यागी इसी तर्क के साथ पीके की मदद कर रहे हैं।

Related posts

Leave a Comment