राजनीतिक संवाददाता द्वारा
शेखपुरा : मर्डर के 18 साल बाद पूर्व सांसद राजो सिंह के विधायक पौत्र सुदर्शन कुमार ने कहा कि उन्हें केस नहीं लड़ना है। इसके बाद तो जज भी आश्चर्य में पड़ गए। पूर्व सांसद और कांग्रेस के धाकड़ नेता रहे राजो सिंह हत्याकांड में गुरुवार को नाटकीय मोड़ आ गया। राजो सिंह हत्याकांड के सूचक उनके पौत्र सुदर्शन कुमार ही हैं। फिलहाल वो बरबीघा विधानसभा क्षेत्र से सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड के विधायक हैं।
पूर्व सांसद राजो सिंह हत्याकांड के सूचक और विधायक सुदर्शन कुमार ने शेखपुरा कोर्ट को बताया कि उन्हें केस नहीं लड़ना है। शेखपुरा जिले के बरबीघा से सुदर्शन कुमार जेडीयू के विधायक हैं। गुरुवार को अपर जिला सत्र न्यायधीश-तृतीय की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। लोक अभियोजक उदय नारायण सिन्हा ने मीडिया को बताया कि सूचक सुदर्शन कुमार ने अदालत में अपनी गवाही देते हुए कहा कि हमें ये केस नहीं लड़ना है।
राजो सिंह मर्डर केस में सूचक सुदर्शन कुमार ने जिस आरोपी शंभू यादव को पहले पहचानने की बात स्वीकार की थी, गुरुवार को वो अपने बयान से ही पलट गए। हालांकि पूरे मामले पर सुदर्शन कुमार की ओर से कोई बयान नहीं आया है। मगर लोक अभियोजक उदय नारायण सिन्हा ने बताया इस मामले में पहले ही कई लोग निचली अदालत से बरी हो चुके हैं।
2005 में हुए शेखपुरा के इस सनसनीखेज मर्डर केस में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ भी सुदर्शन कुमार ने पहले पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बाद में वापस ले ली। निचली अदालत में जिन दो लोगों शंभू यादव और अनिल महतो के खिलाफ मामला चल रहा था, वहां गुरुवार को नई गवाही देकर सुदर्शन ने केस से ही पल्ला झाड़ लिया। लोक अभियोजक के मुताबिक केस से पल्ला झाड़ने को लेकर न्यायधीश ने सुदर्शन कुमार से सवाल भी किया, मगर उन्होंने केस लड़ने से ही इनकार कर दिया।
9 सितंबर 2005 को शेखपुरा के कांग्रेस ऑफिस में बेगूसराय के पूर्व सांसद राजो सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मर्डर केस में सूचक के रूप में राजो सिंह के पौत्र सुदर्शन कुमार ने आरजेडी नेता शंभू यादव और शेखपुरा के पूर्व विधायक रणधीर कुमार सोनी सहित कई लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
बिहार के मौजूदा भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, शेखपुरा नगर पालिका के अध्यक्ष मुकेश यादव, आरजेडी नेता नेता लट्टू यादव, मुनेश्वर महतो, अनिल महतो भी नामजद थे। पुलिस ने शंभू और अनिल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करके बाकी लोगों को बरी कर दिया था। स्थानीय अदालत ने भी पुलिस की जांच रिपोर्ट के आधार पर दो को छोड़कर बाकी को बरी कर दिया। इसके खिलाफ सुदर्शन ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की और बाद में उसे वापस ले लिया।