निज संवाददाता द्वारा
मुजफ्फरपुर: बिहार में पिछले दिनों हुई बारिश और तापमान में हुई गिरावट के बाद लीची किसान खुश हैं। रसीली और मिट्ठी लीची के लिए प्रसिद्ध बिहार में बारिश के बाद फलों में लाल रंग विकसित होने लगा है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अप्रैल महीने में तापमान में हुई अभूतपूर्व वृद्धि के बाद लीची के छिलके फटने लगे थे। हालांकि इस बारिश से लीची को लाभ हुआ है। वैसे, वैज्ञानिक किसानों को कीटों से फलों को बचाने की भी सलाह दे रहे हैं।
अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक और सह निदेशक अनुसंधान, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के प्रोफेसर एस के सिंह बताते हैं कि बिहार के अधिकांश इलाके में बारिश होने की वजह से तापमान में कमी आई है, वातावरण नम हो गया है, जिसकी वजह से बिहार में मशहूर शाही प्रजाति के लीची के फल में लगभग सभी जगह लाल रंग विकसित हो गया है। उन्होंने कहा कि इस समय फल छेदक कीट के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। अगर बाग का ठीक से प्रबंधन नहीं किया गया तो भारी नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। लीची में फूल आने से लेकर फल की तुड़ाई के मध्य मात्र 40 से 45 दिन का समय मिलता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि लीची की सफल खेती में इसकी दो अवस्थाएं अति महत्वपूर्ण होती है, पहला जब फल लौंग के बराबर के हो जाते हैं, जो की निकल चुकी है। दूसरी अवस्था जब लीची के फल लाल रंग के होने प्रारंभ होते हैं। इन दोनों समय पर फल को कीट से बचाने के लिए दवा का छिड़काव जरूरी है। लीची में फल छेदक कीट का प्रकोप कम हो, इसके लिए आवश्यक है कि साफ -सुथरी खेती को बढ़ावा दिया जाए।
सिंह बताते हैं कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह में कहीं कहीं पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आस पास पहुंच गया था, जिसकी वजह से फल के छिलकों पर जलने जैसा लक्षण दिखाई देने लगा था, धूप से जले छिलकों की कोशिकाएं मर गई थीं, अब जब की फल के गुद्दे का विकास अंदर से हो रहा है तो छिलके जले वाले हिस्से से फट जा रहे हैं। इस तरह से लीची के जो भी फल फट रहे हैं उसका समाधान ओवर हेड स्प्रिंकलर ही है। फल के फटने के बहुत से कारण हैं। मशहूर शाही लीची के फलों की तुड़ाई 20-25 मई के आस पास करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि फलों में गहरा लाल रंग विकसित हो जाने मात्र से यह नहीं समझना चाहिए की फल तुड़ाई योग्य हो गया है। फलों की तुड़ाई फलों में मिठास आने के बाद ही करनी चाहिए।