गुना लोकसभा सीट : मोदी लहर में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लहराया कांग्रेस का झंडा

Guna Lok Sabha seat: Jyotiraditya Scindia hoisted Congress flag even in Modi wave

News Agency : मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट कांग्रेस और सिंधिया परिवार का गढ़ रहा है। इस सीट पर सिंधिया परिवार के सदस्य ही जीतते रहे हैं। अब तक के चुनाव में ज्यादातर इस सीट से ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही जीतते आए हैं। पिछले चार लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीत मिली है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी इस लोकसभा सीट पर जीतने में नाकाम रही। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के प्रत्याशी जयभान सिंह को 120792 वोटों से शिकस्त दी थी। इस बार बीजेपी ने यहां से नए उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। पार्टी के प्रत्याशी डॉ केपी यादव ज्योतिरादित्य सिंधिया को टक्कर दे रहे हैं।

इस लोकसभा सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव 1957 में कराए गए। इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विजयाराजे सिंधिया विजयी हुईं। उन्होंने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को हराया था। अगले चुनाव में कांग्रेस ने यहां से रामसहाय पांडे को मैदान में उतारा। जबकि हिंदू महासभा की तरफ से एक बार फिर वीजी देशपांडे उम्मीदवार बनाए गए। लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। कांग्रेस के रामसहाय पांडे चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

1967 में इस सीट पर उपचुनाव कराए गए। उपचुनाव में कांग्रेस को यहां से पहली बार हार का सामना करना पड़ा। स्वतंत्रता पार्टी के जे बी कृपलानी को जीत मिली। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में स्वतंत्रता पार्टी की ओर कांग्रेस की पूर्व नेता विजयाराजे सिंधिया लड़ीं। उन्होंने कांग्रेस के डीके जाधव को यहां पर शिकस्त दी। हालांकि शुरुआत के दो चुनाव में कांग्रेस यहां से चुनाव जीतने में सफल रही, लेकिन अगले तीन चुनाव में उसे गुना लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा। साल 1971 में विजयाराजे के बेटे माधवराव सिंधिया जनसंघ के टिकट पर पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल की।

माधवराव सिंधिया 1977 में फिर यहां से चुनाव लड़े लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर। इस चुनाव में उन्होंने बीएलडी के गुरुबख्स सिंह को हराया। 1980 के लोकसभा चुनाव में वो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते भी। जबकि 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक नए उम्मीदवार महेंद्र सिंह को टिकट दिया। महेंद्र सिंह बीजेपी के उम्मीदवार को हराने में कामयाब रहे. 1989 के चुनाव में यहां से विजयाराजे सिंधिया एक बार फिर यहां से लड़ीं और तब के कांग्रेस के सांसद महेंद्र सिंह को शिकस्त दी। इसके बाद से विजयाराजे सिंधिया ने यहां पर हुए लगातार four चुनावों में जीत का परचम फहराया।

1999 लोकसभा चुनाव में माधवराव सिंधिया ने इस सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई। 1999 के चुनाव में उन्होंने यहां से जीत हासिल की। 2001 में उनके निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से लड़े। गुना की जनता ने उन्हें निराश नहीं किया। अपने पहले ही चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शानदार जीत हासिल की। इसके बाद से हुए हर चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से जीतते आ रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के आगे हर लहर टकरा कर यहां से वापस चली गई।

यहां तक कि 2014 में मोदी लहर में जब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था तब भी ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे। गुना लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की eight सीटें आती हैं। यहां पर शिवपुरी, बमोरी, चंदेरी, पिछोर, गुना, मुंगावली, कोलारस, अशोक नगर विधानसभा सीटें हैं। यहां की eight विधानसभा सीटों में से four पर बीजेपी और four पर कांग्रेस का कब्जा है।

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